सिकंदर की मृत्यु के 4 संभावित कारण। Alexander Death Reasons in Hindi

सिकंदर की मृत्यु

मकदूनिया के राजे सिकंदर की मृत्यु और इससे जुड़ी घटनाएँ शुरू से ही इतिहासकारों के बीच बहस का विषय रही हैं।

बेबीलोन की खगोलिय डायरी के अनुसार सिकंदर की मृत्यु 323 ईसापूर्व में 10 जून से 11 जून की शाम के बीच हुई थी। उस समय उसकी उम्र 32 साल थी। यह घटना बेबीलोन शहर के एक महल में हुई थी।

सिकंदर की मृत्यु का समाचार सुनकर उसके यवन लोग शौक में डूब गए। कइयों ने अपने सिर तक मुंडवा लिए।

सिकंदर की मौत क्यों हुई थी? इस रहस्य को लेकर इतिहासकारों की अलग-अलग राय है। इस लेख में हमने उन सभी विचारों को विस्तार से पेश किया है।

पृष्ठभूमि

फरवरी 323 ईसापूर्व में सिकंदर अपनी सेना को बेबीलोन की तरफ कूच करने का आदेश देता है।

इतिहासकार एरियन (Arrian) के अनुसार, दजला नदी (टाइग्रिस/Tigris River) पार करने के बाद सिकंदर को कसदी जनजाति (Chaldeans) के लोग मिलते हैं, जो सिकंदर को बेबीलोन शहर में ना जाने की सलाह देते हैं, क्योंकि उनकी देवी बेल (Bel) के अनुसार अगर सिकंदर ऐसा करता है, तो यह उसके लिए विनाशकारी साबित होगा। कसदी लोग उसे यह भी कहते हैं कि क्योंकि वो पश्चिम की ओर बढ़ रहा है, इसलिए वो अगले कुछ दिन तक डूबते सूरज को देखेगा, जो कि पतन का एक चिन्ह है।

एरियन यह भी कहता है कि सिकंदर उनकी सलाह मान लेता है और बेबीलोन में शाही मार्ग के जरिए प्रवेश करने का निर्णय लेता है जो कि शहर के पश्चिम की तरफ होता है। इस तरह से शहर में प्रवेश करते वक्त उसका मुंह पूर्व की ओर होगा।

पर शहर में पश्चिम की ओर से दाखिल होने का निर्णय बुरा साबित होता है, क्योंकि इसके लिए उन्हें एक दलदली इलाके से गुजरना पड़ता है। इस दलदली इलाके के कारण सिकंदर के पूरे काफ़िले को काफी दिक्कतें आती हैं।

कलानोस ने की थी सिकंदर की मौत की भविष्यवाणी

जब सिकंदर पंजाब में था, तो उसका परिचय एक हिन्दू नागा साधू होता है। उसकी दार्शनिक बातों से सिकंदर और उसके यवन लोग काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं। उसे यवन लोग कलानोस के नाम से संबोधित करते हैं। कलानोस सिकंदर का वापसी के समय सिकंदर के अनुरोध पर उसके साथ चलता है। उस समय उसकी उम्र 73 साल की होती है।

जब कलानोस सिकंदर के काफ़िले के साथ ईरान को पार कर रहा होता है, तो वहां का मौसम और लगातार यात्रा की थकावट उसके शरीर को बहुत कमज़ोर कर देते हैं। वो सिकंदर को अवगत करवाता है कि वो इस तरह रहने की बजाय मृत्यु को पसंद करेगा। वो अग्नि में समाधि लेकर मृत्यु को प्राप्त करना चाहता था।

सिकंदर कलानोस को ऐसा ना करने के लिए काफी दबाव बनाता है। पर कलानोस समाधि लेने की ठान लेता है।

कलानोस की जिद को मानते हुए सिकंदर उसे सभी अनुष्ठान और रस्में करने में सहायता देता है जो उसे चाहिए थी। अग्नि में समाधि लेने से पहले कलानोस सिकंदर को यह शब्द कहता है-

हम बेबीलोन में मिलेंगे।

शुरू में यवन लोग कलानोस के इन शब्दों को नहीं समझ पाए थे। लेकिन जब बेबीलोन शहर पहुँचकर सिकंदर की मृत्यु हो जाती है, तो यवनो को अहसास होता है कि दरअसल कलानोस के यह शब्द सिकंदर की मृत्यु की भविष्यवाणी थे।

कलानोस की समाधि की यह घटना 323 ईसा-पूर्व में ईरान के सूसा (Susa) शहर में घटती है। कलानोस का जिक्र सिकंदर का इतिहास लिखने वाले कई इतिहासकारों द्वारा किया गया है।

सिकंदर की मौत के कारण

सिकंदर की मौत के कारण

सिकंदर की मौत किस कारण से हुई थी? इस बारे में कोई ठोस ओर विश्वसनीय जानकारी मौजूद नहीं है। लेकिन सिकंदर का इतिहास लिखने वाले और उस पर शोध करने वालो ने उसकी मौत को लेकर अलग-अलग कारण बताएं हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है-

क्या मलेरिया था सिकंदर की मौत का कारण

1998 में अमेरिका की University of Maryland School ने सिकंदर की मौत को लेकर एक medical report प्रकाशित की थी, जिसके अनुसार शायद सिकंदर टाइफाइट बुखार की वजह से मरा था। उसे शायद मलेरिया भी था, जो प्राचीन बेबीलोन में एक आम बीमारी थी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिकंदर की मौत से कुछ दिन पहले के ऐतिहासिक वृतांत मिलते है जिनमें बताया गया है कि उस समय वहां (बेबीलोन) के लोग ठंड लगने, पसीने, थकावट, तेज़ बुखार और टाइफाइड सहित कई संक्रामक रोगों की चपेट में थे। University के एक शोधकर्ता के अनुसार सिकंदर को शायद गंभीर पेट दर्द भी था जिसके कारण वो तड़प रहा था।

लेखक Andrew Chugg के अनुसार इस बात का सबूत है कि सिकंदर की मृत्यु मलेरिया से हुई थी। उसके अनुसार एक स्रोत के अनुसार सिकंदर अपनी मौत से दो सप्ताह पहले बाढ़ बचाव का निरीक्षण करने के लिए दल-दल में नौकायन करने निकला था। हो सकता है वो उस समय मलेरिया परजीवी के संपर्क में आया हो। पर कुछ आलोचक इस तथ्य को पेश करने वाले स्रोत की प्रमाणिकता पर ही सवाल उठा देते हैं। हांलाकि फिर भी कुछ बड़े विद्वान इस तथ्य का समर्थन करते हैं।

क्या सिकंदर को किसी ने जहर दिया था?

कई दावों में सिकंदर को उसके करीबियों द्वारा जहर देकर मारने का आरोप लगाया गया है। यह आरोप अलग-अलग दावों में अलग-अलग लोगों पर लगाए गए हैं। इनमें सिकंदर की एक पत्नी, उसके सेनापति और उसका खानदानी भाई टोलेमी (Ptolemy I Soter) शामिल हैं।

एक दावे के अनुसार सिकंदर को संभवतः उसके खानदानी भाई टोलेमी ने आर्सनिक जहर दिया था। टोलेमी सिकंदर का इतिहासकार होने के साथ-साथ उसके खानदान से भी था और रिश्ते में उसका भाई लगता था।

लेकिन न्यूजीलैंड के एक शोधकर्ता का मानना है कि सिकंदर को संभवतः शराब में जहर मिलाकर दिया गया था जो कि एक खास पौधे से तैयार की जाती है। प्राचीन ग्रीक लोगों को इस पौधे के बारे में जानकारी थी और यह किसी व्यक्ति में विषाक्त्ता के लक्षण पैदा कर सकता है। ऐसे लक्षणों का वर्णन सिकंदर की मौत से जुडे कुछ वृतातों में है। प्राचीन ग्रीक इतिहासकार डियोडोरस (Diodorus) का एक वर्णन इस दावे को मज़बूत करता है। उस वर्णन में सिकंदर को “शराब का एक बड़ा कटोरा पीने के बाद दर्द से त्रस्त” दर्ज किया गया है।

एक परिकल्पना यह भी है कि सिकंदर को बहुत ज्यादा मात्रा में शराब पीने की आदत थी जो उसकी मौत का कारण बनी।

नील बुखार

कुछ शोधकर्ताओं ने West Nile बुखार को सिकंदर की मौत की वजह बताया है। यह बुखार मच्छरों की वजह से फैलता है। लेकिन इस दावे की काफी आलोचना हुई है। महामारी वैज्ञानिक Thomas Marther का कहना है कि West Nile बुखार बुर्जुगों और कमज़ोर प्रतिरक्षा वाले लोगों पर अपना प्रभाव दिखाता है। इसके सिवाए सबसे बड़ी बात यह है कि पश्चिमी नील बुखार 8वी सदी से पहले मनुष्यों पर कोई प्रभाव डालता ही नहीं था जबकि सिकंदर इससे 1100 साल पहले मर चुका था।

क्या जन्म से सिकंदर की गर्दन में विक़ार था?

एक सिद्धांत के मुताबिक सिकंदर जन्म से गर्दन से जुड़े एक विक़ार से ग्रस्त था जो कि बहुत ही कम लोगों में होता है। शायद किसी युद्ध में उसे गर्दन पर गंभीर चोट लगी हो जिसकी वजह से उसकी गर्दन से लेकर रीढ़ की हड्डी तक संपीड़न की समस्या पैदा हो गई हो।

Andrew N. Williams और Robert Arnott के अनुसार सिकंदर अपने अंतिम दिनों में मूक हो गया था। साइरोपोलिस की घेराबंदी (329 ईसापूर्व) के दौरान गर्दन के पिछले हिस्से में लगी चोट ने उसे मूक बना दिया था।

लेकिन यह परिकल्पना सिकंदर के शरीर के पूर्ण विश्लेषण के बिना सिद्ध नहीं की जा सकती।

निष्कर्ष

सिकंदर की मृत्यु को लेकर जितनी भी परिकल्पनाएं हैं उनमें से किसी को भी सिद्ध करने के लिए ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है। लेकिन एक बात तो तय है कि उसकी मृत्यु प्राकृतिक नहीं थी क्योंकि कोई भी व्यक्ति 32 साल की उम्र में प्राकृतिक मौत नहीं मरता बल्कि उसके पीछे कोई ना कोई कारण तो ज़रूर होता है।

ज्यादातर सबूत इसी बात की ओर इंगित करते हैं कि सिकंदर किसी बीमारी की वजह से मरा था। अब यह बीमारी कौन सी थी, इस बारे में कोई स्पष्ट सबूत मौजूद नहीं है। लेकिन ज्यादातर विद्वान मलेरिए को सिकंदर की मौत की वजह मानते हैं।

शरीर संरक्षण

एक प्राचीन वृत्तांत बताता है कि बाबुल से शव को बाहर निकालने के लिए एक उपयुक्त अंत्येष्टि गाड़ी (funerary cart) की योजना और निर्माण में सिकंदर की मृत्यु के समय से दो साल लगे। यह ठीक से ज्ञात नहीं है कि बाबुल से ले जाने से पहले लगभग दो साल तक शरीर को कैसे संरक्षित किया गया था। 1889 में, ई.ए. वालिस बडगे ने सुझाव दिया कि शरीर शहद की एक बाल्टी में डूबा हुआ था, जबकि प्लूटार्क ने मिस्र के शवलेवकों (embalmers) द्वारा उपचार की सूचना दी।

कहा जाता है कि 16 जून को आए मिस्र और कसदियों के शवलेवकों ने सिकंदर के सजीव रूप को प्रमाणित किया था। इसे टाइफाइड बुखार की जटिलता के रूप में व्याख्यायित किया गया था, जिसे ascending paralysis के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण व्यक्ति मृत्यु से पहले मृत दिखाई देता है।

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