राजव्यवस्था किसी देश की उस व्यवस्था को कहा जाता है जिसके तहत देश का संविधान के अनुसार प्रशासन चलाया जाता है। भारत की राजव्यवस्था भारत के लिखित संविधान पर आधारित है। यह संक्षिप्त ना होकर बेहद ही विस्तारपूर्वक है। यहां हम आपको भारत की राजव्यवस्था की कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो कि बेहद ही रोचक हैं।
तो चलिए, पढ़ते है भारत की राजव्यवस्था की कुछ रोचक बातें-
भारत की राजव्यवस्था की रोचक बातें
1. हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और गोवा किसी समय केंद्र शासित प्रदेश हुआ करते थे। लेकिन आज इन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त है।
2. भारत के 12 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। यह 12 राज्य हैं – महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक और गोवा।
3. 12 राज्यों को विशेष राज्यों का दर्जा इन कारणों में किसी एक या ज्यादा के कारण दिया गया है – (1) इन राज्यों के पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करना, (2) जनजातीय लोगों के आर्थिक एवं सांस्कृतिक हितों की रक्षा, (3) कुछ अशांत इलाकों में कानून एवं व्यवस्था की स्थापना करना और (4) इन राज्यों के स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करना आदि।
4. भारत के मूल संविधान में राज्यों के लिए किसी प्रकार के विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं था। यह प्रावधान संविधान संशोधन के जरिए इसलिए शामिल किया गया था ताकि राज्यों के पुनर्गठन के समय आने वाली समस्याओं को हल किया जा सके।
5. भारत में नगर निगमों की स्थापना अंग्रेजों द्वारा की गई थी। सबसे पहला नगर निगम 1687-88 में मद्रास यानि कि चेन्नई में स्थापित हुआ था। इसके बाद 1726 में बम्बई और कलकत्ता में भी नगर निगम की स्थापना की गई।
6. 1980 में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी किया और कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि एक व्यक्ति प्रधानमंत्री बनने से पहले लोकसभा में अपना बहुमत साबित करे। राष्ट्रपति को पहले प्रधानमंत्री की नियुक्ति करनी करनी चाहिए और इसके बाद एक समय सीमा के भीतर प्रधानमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए कहा जाए।
7. 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था जिसके मुताबिक भले ही कोई व्यक्ति दोनों सदनों – लोकसभा और राज्य सभा में से किसी का मेंबर ना भी हो, तो भी वो 6 महीने के लिए प्रधानमंत्री बन सकता है। लेकिन अगर उसे 6 महीने के बाद भी प्रधानमंत्री बने रहना है, तो उसे इन्हीं 6 महीनों के अंदर दोनों में किसी भी एक सदन का सदस्य बनना पड़ेगा।
8. भारत के 6 प्रधानमंत्री एेसे हैं, जो प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। यह 6 प्रधानमंत्री हैं- (1) मोरारजी देसाई जो कि तत्कालीन बम्बई राज्य के मुख्यमंत्री थे, (2) चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, (3) वी.पी. सिंह भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, (4) पी.वी नरसिम्हा राव आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, (5) एच. डी. देवगौड़ा कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे और (6) वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
9. आज़ादी के बाद भारत का संविधान बनाने वाली संविधान सभा ने हाथी को मोहर के रूप में अपनाया था।
10. भारत के संविधान की जो मूल प्रति थी, वो अंग्रेजी में थी। इस प्रति का सौन्दर्यीकरण और सजावट शांति निकेतन के कलाकारों ने किया था। इन कलाकारों में मंदलाल बोस और व्यौहार राममनोहर सिन्हा शामिल थे।
11. मूल संविधान की हिन्दी कॉपी को वसंत कृष्ण वैद्य द्वारा लिखा गया था। इस कॉपी को सजाने का काम नंदलाल बोस द्वारा किया गया था।
12. भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। दुनिया के किसी भी देश के संविधान में इतने अनुच्छेद और अनुसूचियां नहीं है जितनी कि भारतीय संविधान में हैं।
13. भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी जबकि 1951 के बाद हुए संशोधनों के बाद इसमें 1 प्रस्तावना, 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं।
14. भारत के पहले लोकसभा चुनावों जो कि 1952 में हुए थे, 14 राष्ट्रीय स्तर के मान्यता प्राप्त दल थे। लेकिन चुनावों के बाद इनमें से कांग्रेस समेत 4 पार्टियों को ही राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई।
15. क्षेत्रफल के लिहाज से देश की सबसे बड़ी लोकसभा सीट जम्मू-कश्मीर राज्य की लद्दाख सीट है। इस निर्वाचन क्षेत्र का क्षेत्रफल 1,73,266 वर्ग-किलोमीटर है। इतना क्षेत्रफल भारत के 21 राज्यों के क्षेत्रफल से ज्यादा है।
16. क्षेत्रफल के लिहाज से देश की सबसे छोटी लोकसभा सीट दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट है जिसका क्षेत्रफल महज 10.59 वर्ग-किलोमीटर है।
17. तेलंगाना राज्य की मल्काजगिरी लोकसभा सीट में वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। साल 2014 में यहां कुछ 29,53,915 मतदाता थे।
18. लक्षद्वीप को सिर्फ 47,972 वोटर होने के बावजूद भी एक लोकसभा सीट का दर्जा दिया गया है।
19. साल 1988 में राजीव गांधी की सरकार ने संविधान के 61वें संशोधन द्वारा वोट डालने की कम से कम आयु सीमा 21 साल से घटाकर 18 साल कर दी थी।
20. साल 2009 से चुनावों के दौरान किसी भी तरह का एक्टिज पोल करना या उसके आंकड़े प्रकाशित करना गैर कानूनी करार दिया जा चुका है। एक्टिज पोल केवल चुनावों से पहले या बाद में ही किए या प्रकाशित किए जा सकते हैं।
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