बुलबुल एक छोटा सा पक्षी है जो अपनी मीठी आवाज़ के लिए जाना जाता है। इसके गीतों को दिन और रात दोनों समय में सुना जा सकता है। लेकिन आप इसे ज्यादातर रात को ही गाता सुन सकते हैं। यह पक्षी 200 प्रकार की अलग-अलग धुनों में गा सकता है।
बुलबुल के लिए अंग्रेज़ी के शब्द “Nightingale” की उत्तपत्ति दो शब्दों- “night” (रात) और “galan” (गाना) से हुई है। यादि इसका अर्थ है- ‘रात को गाने वाला’।
आइए आपको बुलबुल से जुड़े कई और मज़ेदार तथ्य बताते हैं-
बुलबुल की जानकारी हिंदी में – Nightingale Bird in Hindi
1. आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल नर बुलबुल ही गाते हैं। गायन का मुख्य उद्देश्य संभोग के समय मादा बुलबुल को आकर्षित करना होता है।
2. बुलबुल का रंग भूरा मटमैला या गंदा पीला और हरा होता है। यह अपने पतले शरीर, लंबी पूंछ और उठी हुई चोटी के कारण आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
3. आकार में यह पक्षी 14 से 28 सेंटीमीटर तक हो सकते हैं। मादा बुलबुल नर के मुकाबले थोड़ी छोटी होती है।
4. Nightingale भोजन के लिए फल, बीज और कीड़ों को खाती है।
5. बुलबुल की झगड़ा करने के प्रवृति के कारण कई लोग इसे पालते हैं। लेकिन इन्हें पिंजरे में कैद नहीं रखा जाता, बल्कि एक लोहे की छड़ से इसके पेट को रस्सी से बांध दिया जाता है। यह लोहे की छड़ अंग्रेज़ी अक्षर T की तरह दिखती है और इसे चक्कस(Chakkas) कहते हैं।
6. दुनियाभर में बुलबुल की 1700 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। कुछ प्रजातियों को ग्रीनबुल और ब्राउनबुल भी कहते हैं।
7. भारत में भी बुलबुल की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें गुलदुम बुलबुल और सिपाही बुलबुल काफी प्रसिद्ध हैं।

8. सिपाही बुलबुल की गर्दन में दोनों ओर कान के नीचे लाल निशान होते हैं जो बलिदान की भावना का प्रतीक है। क्रांतिकारी व उर्दू शायर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने सिपाही बुलबुल को प्रतीक के रूप में प्रयोग करते हुए अनेकों गज़ले लिखीं। जिनमें नीचे लिखी हुई काफी प्रसिद्ध हुई थी-
क्या हुआ गर मिट गये अपने वतन के वास्ते।
बुलबुलें कुर्बान होती हैं चमन के वास्ते॥
9. यह पक्षी केवल एशिया, अफ्रीका और यूरोप में ही पाया जाता है। अमेरिकी महाद्वीपों में यह बिलकुल भी नहीं पाया जाता।
10. चूहे, लोमड़ी, बिल्ली, छिपकली, सांप और बड़े शिकारी पक्षी, Nightingale के प्राकृतिक शत्रु होते हैं।
11. बुलबुल मृत पत्तों और रेशेदार जड़ों का इस्तेमाल करके कप के आकार का घोंसला बनाती है। इनका घोंसला वनस्पति क्षेत्रों के आसपास ही होता है।
12. मादा बुलबुल एक बार में 5 से 6 अंडे दे सकती है। इनमें 15 से 20 दिन बाद बच्चे निकलने शुरू हो जाते हैं। अंडे सेने के समय के दौरान नर ही मादा को भोजन उपलब्ध करवाते हैं।
13. अंडे से निकलने के बाद 10 से 12 दिन तक नन्हे चूजे घोंसले में ही रहते हैं। इस समय के दौरान इनके माता पिता ही इन्हें भोजन उपलब्ध करवाते हैं।

14. बुलबुल के अंडे मुख्यत पीले जैतूनी-हरे से लेकर भूरे रंग के हो सकते हैं। मौसम की परिस्थियों के कारण इनका रंग नीला सा भी हो सकता है।
15. घोंसले से निकलने के बाद चूज़े 3 से 5 दिन के भीतर उड़ना सीख जाते हैं और इसके बाद यह आत्मनिर्भर हो जाते हैं।
16. बुलबुल ईरान का राष्ट्रीय पक्षी है।
17. इन पक्षियों का जीवन काल बेहद कम होता है। यह केवल 1 से 3 साल तक ही जीवित रह सकते हैं।
18. पुराने समय में बुलबुलों को जंगलों से पकड़ कर लाया जाता था तांकि इन्हें पिंजरे में बंद करके बेचा जा सके। पर ये धंधा चला नहीं क्योंकि कैद में बुलबुल बहुत ही कम समय तक जी पाती है।
19. Nightingale द्वारा घर में घोंसला बनाने पर किसी की मान्यता या मिथक मौजूद नहीं है। इस तरह से कम कह सकते हैं कि बुलबुल का घर में घोंसला बनाना शुभ है या अशुभ नहीं होता। वैसे भी इन सब बातों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
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Note : इस पोस्ट में बुलबुल/Nightingle पक्षी के बारे में रोचक तथ्य बताए गए हैं। अगर आपको किसी और जानवर या पक्षी के बारे में जानकारी चाहिए तो कृपा हमारी Animals/Birds Category देखें।
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