एशिया का भौतिक भूगोल | Physical Geography of Asia in Hindi

Physical Geography of Asia in Hindi

एशिया दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप है जिसने पृथ्वी के 30% स्थल भाग पर अपना अधिकार कर रखा है। इसके सिवाए यह दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला महाद्वीप भी है, जिस पर पृथ्वी की कुल आबादी का 60% हिस्सा रहता है।

एशिया के धरातल को 5 भौतिक क्षेत्रों में बांट कर अध्ययन किया जा सकता है- पर्वत प्रणालियां, पठार, मैदान, घास के मैदान और रेगिस्तान। इस लेख में हम केवल एशिया महाद्वीप की प्रमुख पर्वत प्रणालियों और पठारों की जानकारी देंगे।

एशिया महाद्वीप की प्रमुख पर्वत प्रणालियां – Major Mountain Systems of Asia

हिमालय पर्वत – Himalaya Mountains

हिमालय पर्वत पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर 2500 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं और यह पर्वत भारतीय उपमहाद्वीप को शेष एशिया से अलग करते हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप किसी समय अफ्रीका से जुड़ा हुआ था। 5 से साढ़े 5 करोड़ साल पहले यह युरेशिया महाद्वीप से जुड़ना शुरू हुआ जिसकी वजह से हिमालय का निर्माण हुआ। आज भी भारतीय उपमहाद्वीप उत्तर में युरेशिया महाद्वीप की ओर खिसक रहा है। जिसकी वजह से हिमालय पर्वतों की ऊंचाई हर साल 5 सेंटीमीटर तक बढ़ रही है।

हिमालय लगभग 6,12,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और ये भारत के उत्तरी राज्यों से गुजरने के सिवा नेपाल और भूटान के अधिकांश इलाकों का निर्माण करता है।

तियाँ शान – Tian Shan

तियाँ शान पर्वत 2400 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं और यह किर्गिस्तान और चीन की सीमा पर स्थित हैं। तियाँ शान का शाब्दिक अर्थ है – स्वर्ग के पर्वत। यह नाम चीनी भाषा से आया है।

तियाँ शान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी का नाम Victory Peak है, जिसकी ऊंचाई 7439 मीटर है। दूसरे स्थान पर Khan Tangiri चोटी है, जिसकी ऊंचाई 6995 मीटर है।

तियाँ शान पर्वतों के 10 हज़ार वर्गकिलोमीटर के क्षेत्र में ग्लेशियर पाए जाते हैं। सबसे बड़े ग्लेशियर का नाम Engil’chek Glacier (एंजिलचेक ग्लेशियर) है।

यूराल पर्वत – Ural Mountains

यूराल पर्वत उत्तर से दक्षिण दिशा में 2500 किलोमीटर की लंबाई में रूस और कज़ाखस्तान तक फैले हुए हैं।

यूराल दुनिया के प्राचीन पर्वतों में से एक हैं जिनकी आयु 25 से 30 करोड़ वर्ष है। करोड़ो वर्षों के कटाव के कारण इन पहाड़ों की ऊंचाई बेहद कम हो गई है। इनकी औसत ऊंचाई महज 914 से 1220 मीटर है।

इस पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी Mount Narodnaya (माउंट नरोदनाया) है जो 1895 मीटर ऊंची है।

एशिया के प्रमुख पठार – Major Plateaus of Asia

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ईरान का पठार – Iranian Plateau

ईरान का पठार लगभग 36 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें अधिकांश ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिस्से शामिल हैं।

यह पठार पूरी तरह से समतल नहीं है बल्कि इसमें कुछ ऊंचे पहाड़ और निम्न नदी घाटियां भी पाई जाती हैं।

ईरान की पठार की सबसे ऊंची चोटी दमवंद (Damavand) है जो कि 5610 मीटर ऊंची है। पठार में दो बड़े रेगिस्तान दशत-ए कवीर (Dasht-e Kavir) और दशत-ए लूट (Dasht-e Lut) भी पाए जाते हैं।

दक्कन का पठार- Deccan Plateau

दक्कन का पठार दक्षिण भारत के बड़े हिस्से को बनाता है। ‘दक्कन’ शब्द संस्कृत के शब्द ‘दक्षिण’ का अंग्रेजी अपभ्रंश शब्द ‘डक्कन’ का हिन्दीकरण है।

इस पठार की औसत ऊंचाई 600 मीटर के लगभग है। यह पठार त्रिभुजाकार है और भारत के 8 राज्यों में फैला हुआ है।

दक्कन का पठार तीन पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है: उत्तर में सतपुड़ा की पहाड़ियां और पूर्व और पश्चिम के घाटों से।

दक्कन के पठार की ढलान पूर्वी घाट की तरफ है और इस पर बहने वाली प्रमुख नदियों का पानी भी पूर्व की ओर ही जाता है।

तिब्बत का पठार – Tibetan Plateau

तिब्बत के पठार को पृथ्वी के इतिहास के सबसे विशाल और ऊंचे क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा पठार है जिसे कभी-कभी दुनिया की छत (Rooftop of the World) भी कहा जाता है।

तिब्बत का पठार लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसकी समुंद्र तल से औसत ऊंचाई 5,000 मीटर है।

यह पठार बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसमें ग्लेशियरों की संख्या बहुत ज्यादा है। इन ग्लेशियरों से जो नदियां निकलती है वो हमारे भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

सिंधु और सतलुज समेत ब्रह्मपुत्र नदी भी तिब्बत के पठार से ही निकलती है। इसके सिवाए कई और भी नदियां है जो दक्षिण में भारत की ओर ना निकलकर उत्तर में निकलती हैं। इस पठार से निकलने वाली नदियों के ऊपर 2 अरब लोग निर्भर हैं।

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