सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि जिसे हड़प्पा लिपि भी कहा जाता है, वो सांकेतिक चिन्ह हैं जो कि इस सभ्यता के पुरातत्व स्थलों की खुदाई के दौरान मिलने वाली पत्थर की मोहरों और अन्य वस्तुओं पर मिले हैं। यहां आपको सिंधु घाटी की लिपि से जुड़ी 11 जानकारियां दी जाएंगी।
सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि के बारे में 11 तथ्य – Hadappa Sabhyata Ki Lipi
1. सिंधु लिपि का सबसे पहला नमूना 1853 में मिला था। 1923 में इसके सभी सांकेतिक चिन्ह (अक्षर) प्रकाश में आ चुके थे जो आगे होने वाली खुदाइयों में भी मिले।
2. सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। इस संबंध में खोज़ करने वाले सभी विद्वान ये मान चुके हैं कि इस लिपि को पढ़ना असंभव है क्योंकि इस लिपि को समझने के लिए हमारे पास आवश्यक स्रोत उपलब्ध नहीं है।
3. हड़प्पा लिपि के अभिलेखों के लगभग 4 हज़ार नमूने प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन ये उतने लंबे नहीं है जितने कि दूसरी प्राचीन सभ्यताओं के। ज्यादातर अभिलेख मोहरों पर हैं जिन पर केवल 1 से लेकर 6 तक अक्षर ही लिखे गए हैं। सबसे लंबे अभिलेख पर भी सिर्फ 17 अक्षर ही हैं।
4. सिन्धु सभ्यता की लिपि के 600 से ज्यादा अक्षर हैं जिनमें से 60 ही मूल अक्षर हैं और बाकी के मूल अक्षरों में मात्राएं, अर्ध-अक्षर या अन्य अक्षरों के साथ जोड़कर बनाए जाते थे।
5. आप यह पोस्ट देवनागरी लिपि में पढ़ रहे हैं, जो कि वर्णनात्मक है। लेकिन हड़प्पा लिपि मुख्यतः भावचित्रात्मक है, जिसका हर अक्षर किसी ध्वनि, भाव या वस्तू का सूचक है।
6. सिंधु लिपि को विश्व की प्राचीन सभ्यताओं की लिपि के सिवाए भारत की प्राचीन भाषाओं से जोड़ने की कोशिश भी की गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया।
7. कुछ विद्वान हड़प्पा लिपि को बाएँ से दाएँ (left to right) पढ़ते हुए इसे तमिल भाषा से जोड़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन ये विचार माना नहीं जा सकता क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यता के काल में तमिल भाषा के अस्तित्व का कोई नामोनिशान नहीं दिखाई देता है।
8. सिंधु लिपि को किस ओर से किस ओर लिखा जाता था, इस विषय पर भी विवाद है। कुछ विद्वान इसे left to right लिखे जाने वाली लिपि बताते हैं, तो कुछ right to left लिखी जाने वाली।
9. एक विचार के अनुसार यह लिपि right to left लिखी जाती थी। लेकिन जब अभिलेख ज्यादा लाइनों का होता था, तो पहली लाइन right to left और अगली लाइन left to right लिखी जाती थी।
10. सिंधु लिपि को पढ़े ना जाने के कारण हमें उनके साहित्य के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। अगर उनकी लिपि को पढ़कर उनके साहित्य के बारे में पता लगा लिया जाए तो वो आज की कई हिंदु लोक-कथाओं से जरूर मिलती जुलती होंगी क्योंकि हिंदु धर्म के कई देवी-देवता, जिनमें भगवान शिव भी शामिल हैं, को सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पूजते थे।
11. कुछ विद्वान आर्य आक्रमण की थ्योरी को बढ़ावा देने के लिए अब यह कोशिश करने में लगे हुए हैं कि कैसे सिंधु लिपि को आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में बोली जाने वाली गोंडी भाषा से जोड़ा जा सके। लेकिन यह दावे सिर्फ एक खास विचारधारा को हवा देने के लिए हैं। वास्तव में गोंडी का हडप्पा लिपि से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं।
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