इबोला वायरस क्या है? जानें | What Is Ebola Virus in Hindi?

Ebola Virus in Hindi

इबोला एक खतरनाक वायरस जा विषाणु का नाम है जो एक गंभीर बिमारी का कारण बनता है। इस बिमारी को इबोला वायरस रोग कहा जाता है। यदि कोई व्यक्ति इबोवा वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसके बचने के बेहद कम चांस है। इस रोग से पीड़ित 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

इबोला की शुरुआत

इस वायरस की पहचान सबसे पहले साल 1976 में अफ्रीका की इबोला नदी के पास एक गांव में की गई थी। इबोला नदी के नाम पर ही इस वायरस का नाम इबोला पड़ा। उस समय सूडान और कांगो के कुछ इलाकों में यह संक्रमण फैला था। उसके बाद ये बीमारी कई बार सामने आ चुकी है।

WHO के अनुसार इबोला वायरस का स्रोत शायद चमगादड़ है। वायरस के संपर्क में आने के 2 से 21 दिन के भीतर यह पूरे शरीर में फैल जाता है। इसके कारण कोशिकाओं में मौजूद साइटोकाइन प्रोटीन बाहर निकलने लगता है।

साल 2014 में इबोला की वजह से अफ़्रीकी देशों गिनी, सियेरा, लियोन और नाइजीरिया में करीब 930 लोगों की मौत हुई थी। लाइबेरिया देश ने इस बीमारी की वजह से आपातकाल घोषित कर दिया गया था।

रोग फैलने के कारण

जब कोई व्यक्ति इबोला वायरस के संपर्क में आता है तो उसे यह रोग हो जाता है। इबोला से पीड़ित किसी मरीज के पसीने, लार और खून के सिवाए उसकी सांस के जरिए भी यह वायरस आपके अंदर दाखिल हो सकता है। मरीज़ के यौन संबंध बनाने से भी इसका संक्रमण निश्चित है।

मनुष्यों के सिवाए महामारी वाले इलाके के पशुओं और संक्रमित जानवरों जैसे कि चिंपैंजी, चमगादड़ और हिरण आदि के सीधे संपर्क में आने से इबोला का संक्रमण हो सकता है।

यहां तक कि इबोला के शिकार व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी ख़तरे से ख़ाली नहीं होता। शव को छूने से भी इसका संक्रमण हो सकता है।

रोग के लक्षण

इबोला वायरस रोग के लक्षण कुछ इस तरह से होते हैं-

– शुरूआत में उल्टी और दस्त की समस्या के साथ सिरदर्द, खून का बहना और गले में ख़राश जैसी समस्या होती है।
– इसके बाद टाइफाइड, कॉलरा और मांशपेशियों में दर्द शुरू होता है।
– रोगी के बाल झड़ने लगते हैं और नसों से मांशपेशियों में खून उतरने लगता है।
– आंखे लाल हो जाती हैं। तेज रोशनी से आंखों पर असर पड़ता है। रोगी बहुत तेज़ रोशनी सहन नहीं कर पाता। आंखों से जरूरत से ज्यादा पानी आने लगता है।
– सबसे भयंकर यह है कि इबोला वायरस से संक्रमित व्यक्ति की चमड़ी गलने लगती है और हाथ-पैर से लेकर पूरा शरीर गल जाता है।

इबोला वायरस से कैसे बचें

वैसे भारत में इबोला का कोई ख़ास ख़तरा नहीं है। लेकिन यदि आप इबोला महामारी वाले किसी इलाके में हैं तो खुद को सतर्क रखना ही सबसे बेहतर उपाय है। हो सके तो ऐसी जगह से फौरन निकल जान चाहिए। अनजान व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

महामारी वाले इलाकों में चमगादड़ और बंदर आदि जानवरों से दूर रहना चाहिए और जंगली जानवरों का मांस खाने से बचना चाहिए।

WHO के अनुसार इलाज करने वालों डॉक्टरों को दस्ताने और मास्क पहनने चाहिए और समय-समय पर हाथ धोते रहना चाहिए।

इलाज

वर्तमान समय में इबोला वायरस रोग का कोई स्थाई इलाज़ उपलब्ध नहीं है। ना ही कोई दवाई बनाई जा सकी है, ना ही एंटी-वायरस। इसके इलाज़ के लिए टीका विकसित करने की कोशिश हो रही है जो शायद अगले कई वर्षों तक शायद ही सफल हो पाए।

इबोला वायरस से पीड़ित का पता चलने पर उसे अलग जगह पर रख कर इलाज किया जाता है। उसके शरीर में पानी की कमी नहीं होने दी जाती। मरीज़ के शरीर में ऑक्सीज़न का लेवल और ब्लड प्रेशर ठीक रखने की कोशिश की जाती है।


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