1930 की महामंदी के बारे में 21 रोचक तथ्य | The Great Depression in Hindi

Great Depression in Hindi

ग्रेट डिप्रैशन जा महामंदी सन 1929 से 1939 तक विश्वभर में फैली आर्थिक मंदी को कहा जाता है जिसने लाखों लोगों की जिंदगी नरक बना दी थी। विश्व के आधुनिक इतिहास में यह सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण मंदी थी।

आइए, आपको इस मंदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं-

1930 की महामंदी के बारे में 21 रोचक तथ्य – The Great Depression in Hindi

1. यह महामंदी 1929 में अमेरिका में शुरू हुई और जल्दी ही ब्रिटेन, जर्मनी और भारत समेत दुनिया के अन्य भागों में भी फैल गई। इस समय के दौरान ज्यादातर लोग बेरोजगारी और भुखमरी का शिकार थे। राशन की दुकानों के बाहर एक-एक दाने के लिए भी लोग लंबी – लंबी कतारों में लगे रहते थे।

2. मंदी की शुरूआत 29 अक्तूबर 1929 को अमेरिका में शेयर मार्किट के गिरने से हुई जिसकी वजह से वहां के ज्यादातर लोगों ने अपने खर्चे कम कर दिए। इससे मांग प्रभावित हुई और कई उद्योग घाटे में पडऩे शुरू हो गए। 1929 से 1932 के दौरान औद्योगिक उत्पादन की दर में 45 फीसदी तक की गिरावट आ गई थी।

3. 1930 में अमेरिका में पड़ने वाले सूखे ने आग में घी डालने का काम किया। सूखे की वजह से फसलें बर्बाद हो गई और किसान कर्ज़े के बोझ तले दब गए।

4. लोग बैकों से लिया कर्ज़ा वापिस चुकाने में असमर्थ हो गए और जिन लोगों ने अपना पैसा बैंको में जमा करा रखा था उन्होंने उसे निकालना शुरू कर दिया। इस वजह से लगभग 11 हज़ार बैंक दिवालिया होकर बंद हो गए।

5. महामंदी के दौरान वैश्विक जीडीपी 15 फीसदी तक गिर गई थी। बेरोज़गारी दर 25% हो गई थी। अमेरिका में ही 90 लाख लोग बेरोजगार हो गए।

6. महामंदी की वजह से दुनिया में लगभग 1 करोड़ 30 लाख लोग बेरोजगार हो गए थे। नए घरों के निर्माण में 80 फीसदी तक की कमी आ गई थी क्योंकि लोगों के पास पैसा ही नहीं था।

7. महामंदी शुरू होने के अगले 10 सालों तक दुनिया के ज्यादातर देशों में आर्थिक गतिविधियां ठप्प रहीं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार लगभग खत्म हो गया। साल 1932 और 1933 महामंदी के सबसे बुरे साल थे।

8. एक औसतन परिवार की आमदन में 40 फीसदी तक की कमी आ गई और लगभग 3 लाख कंपनियां बंद हो गई।

9. महामंदी से प्रभावित देशों में सामान्य परिवारों का बड़ा खर्च खाने पर ही होता था। इस खर्च को कम करने के लिए लगभग सभी परिवारों ने अपने घरों के बाहर खाली जगह पर किचन गार्डन बना लिए और सब्जी व अपनी जरूरत का अनाज भी उगाना शुरू कर दिया।

10. उस समय केवल फ्रांस और रूस ही ऐसे देश थे जो महामंदी के प्रभाव से बच गए। फ्रांस को पहले विश्व युद्ध में हुए नुकसान के हर्जाने के रूप में जर्मनी से काफी कुछ मिला था जिसकी वजह से आर्थिक मंदी का उस पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा।

11. रूस में तानशाह स्टालिन की मज़बूत आर्थिक नीतियों की वजह से वह भी आर्थिक मंदी से प्रभावित नहीं हुआ।

12. महामंदी का भारत पर बहुत भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ा था। उस समय भारत अंग्रेज़ों का गुलाम था और उन्होंने ऐसी व्यापार नीति बनाई थी जिससे इंग्लैंड की आर्थिकता तो बची रही पर उसने भारत की आर्थिकता को तोड़ कर रख दिया।

13. चीज़ों के दाम बढ़ा दिए गए और लोगों पर तरह तरह के टैक्स लगा दिए गए जिससे गरीब भारतीय जनता बुरी तरह से पिस गई। सबसे बुरा हाल किसानों का था जिन्हें अपनी फसल कम कीमत में सरकार को बेचनी पड़ती थी।

14. उस समय अमेरिका के 26 प्रतीशत और इंग्लैंड के 27 प्रतीशत के मुकाबले भारत की महंगाई 36 प्रतीशत बढ़ चुकी थी।

15. आर्थिक मंदी पर अंग्रेज़ों की नीतियों के कारण भारत में तरह तरह के विद्रौह होने लगे जिसकी वजह से अंग्रज़ों को आंदोलकारियों की कुछ बातें माननी पड़ी। जिसमें से एक थी – पूरे भारत में एक केंद्रीय बैंक की स्थापना। अंग्रेज़ों ने इस मांग को ध्यान में रखते हुए साल 1935 में Reserve Bank of India की स्थापना की जो आज भी कार्यत है।

16. साल 1936-37 के बाद महामंदी का असर थोड़ा-थोड़ा कम होने लगा था। अमेरिका को इस मंदी से निकालने का श्रेय उसके राष्ट्रपति रूजवेल्ट को जाता है।

17. रूजवेल्ट 1933 में अपने इस वादे से अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने कि वो अमेरिका को महामंदी से निकालकर रहेंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने न्यू डील घोषणा की जिससे जल्दी ही अमेरिका की आर्थिक स्थिती में सुधार आने लगा।

18. राष्ट्रपति रूजवेल्ट की न्यू डील नियमों, नीतियों और कानूनों का एक मसौदा था जिसमें आर्थिक गतिविधियों को लेकर निर्देष गिए गए। मज़दूरों की मज़दूरी तय की गई और काम के घंटे भी। इस प्रकार धीरे-धीरे आर्थिक मंदी से उबरने की ओर अमेरिका अग्रसर हुआ।

19. महामंदी का असली अंत 1939 में दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होने के साथ हुआ। दूसरे विश्व युद्ध की वजह से कई सारे लोगों को काम मिला जिसकी वजह से आर्थिकता मज़बूत हुई और मंदी खत्म। ध्यान देने वाली बात यह है कि दूसरा विश्व युद्ध शूरु होने के बड़े कारणों में से एक महामंदी ही था।

20. ग्रेट डिप्रेशन बहुत लेखन का विषय रहा है, क्योंकि लेखकों ने एक ऐसे युग का मूल्यांकन करने की मांग की है जो वित्तीय और भावनात्मक आघात दोनों का कारण बना।

21. शायद इस विषय पर लिखा गया सबसे उल्लेखनीय और प्रसिद्ध उपन्यास ‘The Grapes of Wrath’ है, जिसे 1939 में प्रकाशित किया गया था और जॉन स्टीनबेक द्वारा लिखा गया था। उन्हें इस उपन्यास के लिए पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, और 1962 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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