चीन का इतिहास भारत के इतिहास की तरह ही अत्यंत प्राचीन है। भारत की तरह ही यह विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक हैं। जिस तरह भारत ने ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में विश्व को अनेकों चीज़ें दी, इसी तरह से चीन का योगदान भी कम नही है। ब्रिटिश जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान आविष्कार बताए, जो हैं – कागज़, कंपस, बारूद और कागज़ के नोट।
चीन का एक समृद्ध और प्राचीन इतिहास है जो हजारों वर्षों तक फैला हुआ है। चीन में सभ्यता का सबसे पहला प्रमाण नवपाषाण काल लगभग 10,000 ईसा पूर्व का है। ज़िया राजवंश, जिसे पहला राजवंश माना जाता है, 2100 ईसा पूर्व के आसपास उभरा, उसके बाद शांग राजवंश आया, जो अपनी उन्नत कांस्य प्रौद्योगिकी और ओरेकल हड्डी लिपि के लिए जाना जाता है। झोउ राजवंश, जो 1046 ईसा पूर्व से 256 ईसा पूर्व तक चला, ने स्वर्ग के जनादेश की अवधारणा पेश की। सम्राट किन शी हुआंग के नेतृत्व में किन राजवंश ने 221 ईसा पूर्व में चीन को एकीकृत किया और महान दीवार का निर्माण किया। बाद के राजवंशों, जैसे हान, तांग, सोंग और मिंग ने सांस्कृतिक उपलब्धियों, व्यापार और तकनीकी प्रगति को देखा, जिसने चीन को एक प्रमुख सभ्यता के रूप में आकार दिया।
वैसे तो चीन का इतिहास काफ़ी लंबा है, पर फिर भी हम इस पोस्ट में हम आपको चीन के कुछ महत्वपूर्ण राजवंशो के बारे में बताएँगे। वैसे तो इन में से एक को छोड़कर किसी भी रंजवंश ने आज के पूरे के पूरे चीन पर कभी भी शासन नहीं किया पर फिर भी उन में से कई का अधिकार चीन के पूरे पूर्वी क्षेत्र पर रहा है, यहां आज भी चीन की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी रहती है।
प्राचीन चीन का इतिहास
शिया राजवंश / ज़िया राजवंश – Xia Dynasty
ज़िया चीन का सबसे ज्ञात प्राचीन राजवंश है जिसका समय 2070 से 1600 ईसापूर्व तक माना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई इतिहासकार इस राजवंश को केवल काल्पनिक ही मानते हैं।
ज़िया राजवंश का उल्लेख केवल चीनी साहित्य में ही मिलता है। अब तक कोई भी सबूत ऐसा नहीं मिला है जिससे यह सिद्ध हो सके कि यह वंश वास्तव में था भी जा नहीं।
शांग राजवंश – Shang dynasty
शांग राजवंश 1600 से 1046 ईसापूर्व तक हुआ था। यह वंश चीन की पीली नदी की घाटी जिसे ह्वांगहो घाटी भी कहते है, पर राज करता था।
शांग वंश के होने के कई सबूत मिले हैं इसलिए इस वंश की वास्तविकता को ठुकराया नहीं जा सकता।
झोऊ साम्राज्य – Zhou dynasty
शांग राजवंश के कमज़ोर होने के कारण 1046 ईसापूर्व में झोऊ साम्राज्य ने उस युद्ध में हरा दिया और अगले कई सौ सालों तक चीन पर राज किया। झोऊ साम्राज्य का अंत 250 ईसापूर्व के समय के आसपास माना जाता है।
झोऊ काल में ही चीन में लोहे का प्रयोग शुरू हुआ और चीन की प्राचीन चित्रलिपि को विकसित करके एक आधुनिक रूप दिया गया।
झोऊ वंश के राजकाल को तीन हिस्सों में बांटा जाता है-
- पश्चिमी झोऊ काल (Western Zhou)
- बसंत और शरद काल (Spring and Autumn Period)
- झगड़ते राज्यों का काल (Warring States Period)
झोऊ वंश अपने अंतिम समय में कई भागों में बंट चुका था जिनमें से सबसे शक्तिशाली चिन वंश था। चिन वंश ने झोऊ के बाकी सभी वंशों को खत्म करके चिन साम्राज्य की स्थापना की।
चिन जा किन साम्राज्य – Qin dynasty
चिन साम्राज्य केवल 221 से 206 ईसापूर्व तक केवल 15 सालों तक चीन पर काबिज़ रहा, पर फिर भी यह थोड़ा सा समय चीन के इतिहास में काफी महत्ता रखता है।
माना जाता है कि चीन को ‘चीन’ नाम चिन साम्राज्य से ही मिला। इसी वंश के राज काल के दौरान उत्तरी हमलावरों को रोकने के लिए चीन की विशाल दीवार का निर्माण शुरू करवाया गया। चीनी भाषा का और विकास करवाया गया और व्यापार के नियम ज्यादा स्पष्ट बनाए गए।
चिन वंश के अच्छे कामों के बावजूद कई विद्वान इनसे नफ़रत करते है क्योंकि इन्होंने अपने पहले के राजवंशों का नाम हमेशा के लिए मिटाने के लिए प्राचीन किताबें और ग्रंथ जलवाए और 400 से ज्यादा विद्वानों को मरवा दिया।
चिन वंश के पहले सम्राट की मौत के बाद उसके दो मंत्रियों ने सोचा कि वो सम्राट के छोटे बेटे को गद्दी पर बैठाकर खुद शासन चलाएंगे पर बाद में दोनों में ही मतभेद हो गए। दोनों मंत्रियों के मतभेद के कारण राज्य में विद्रोह भड़कने लगे जिसकी फायदा पड़ोसी राज्य चू के नेता ने उठाया और उसने चिन सम्राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा कर हान वंश की नींव रखी।
हान राजवंश – Han dynasty
हान वंश ने चीन पर 206 ईसापूर्व से 220 ईस्वी तक यानि कि लगभग 400 साल राज किया। हान काल के बीच में 9 ईस्वी से 23 ईस्वी तक शीन राजवंश ने सत्ता हथिया ली थी, पर उसके बाद हान वंश फिर से सत्ता पर पकड़ बनाने में कामयाब हुआ।
हान काल को चीन का सुनहरा युग कहा जाता है जिसने चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। हान काल का प्रभाव चीन पर अब भी है।
हान वंश ने अपने राज्य की सीमाओं को युद्धों द्वारा आगे तक फैलाया जो वर्तमान समय के कोरिया, वियतनाम, मंगोलिया और मध्य एशिया तक फैला था। हान वंश की विजयी यात्रा रेशम मार्ग की स्थापना में सहायक सिद्ध हुई।
तांग राजवंश – Tang dynasty
तांग राजवंश ने चीन के बड़े हिस्से पर 618 ईस्वी से 907 ईस्वी तक राज किया। इस राजवंश के काल में भी चीन की संस्कृति काफी बढ़ी-फूली। इसी दौरान बौद्ध धर्म भी चीन में बहुत फैला और विकसित हुआ।
तांग वंश ने 7वीं सदी में अपने राज्य की जनगणना करवाई और पता चला कि लगभग 5 करोड़ लोग राज्य में रहते है। ऐसी ही जनगणना 9वीं सदी में भी करवाई गई तब राज्य की आबादी लगभग 8 करोड़ हो गई।
सोंग राजवंश – Song dynasty
तांग राजवंश के पतन के बाद चीन कई छोटे राज्यों में बंट गया जिसके बाद सोंग राजवंश ने उनमें से कई को हराकर एक बड़े साम्राज्य की स्थापना की। सोंग राजवंश ने चीन पर 960 से 1279 ईस्वी तक राज किया।
हान और तांग राजवंश की तरह ही सागं राजवंश में भी चीनी संस्कृति का बहुत विकास हुआ। सोंग राजवंश पहली ऐसा सरकार थी जिसने कागज़ के नोट शुरू किए।
इसी काल के दौरान बारूद की खोज़ हुई और चुंबक की मदद से दिशा पता लगाने का तरीका मिला।
मध्यकालीन चीन का इतिहास
युआन राजवंश – Yuan dynasty
युआन राजवंश मंगोलों का एक वंश था जिसकी स्थापना मंगोल सरदार कुबलई ख़ान नें 1271 ईस्वी में की थी। चीन के बड़े भू भाग पर राज करने वाला यह पहला विदेशी राजवंश था।
यूरोप का प्रसिद्ध यात्री तथा व्यापारी मार्कोपोलो अपने पिता तथा चाचा के साथ वेनिस से चीन इसी समय पहुँचा था। थोड़े समय के लिये उसने कुबलाई खाँ के दरबार में नौकरी भी की थी। आपको बताते चलें कि कुबलाई खां चंगेज़ खां का पौता था।
युआन राजवंश 1271 से 1368 ईस्वी तक चला था।
मिंग राजवंश – Ming dynasty
मिंग राजवंश ने चीन पर 1368 ईस्वी से 1644 ईस्वी तक लगभग 276 साल तक राज किया। इस राजवंश के दौरान चीन को एक बहुत ही सकारात्मक और योग्य सरकार मिली।
मिंग काल के दौरान चीन ने आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्र में बहुत तरक्की की। कुछ इतिहासकार तो यहां तक कहा देते है कि “पूरी मनुष्य जाति के इतिहास में यह व्यवस्थित शासन और सामाजिक संतुलन का एक महान दौर था।”
चिंग / किंग राजवंश – Qing dynasty
चिंग चीन का अंतिम राजवंश ने जिसने लगभग आज के पूरे के पूरे चीन पर 1644 ईस्वी से लेकर 1912 ईस्वी तक राज किया। दिलचस्प बात यह है कि चिंग वंश के लोग चीनी नस्ल के नहीं ते बल्कि वो मंचूरिया के रहने वाले मांचू जाति के लोग थे। वर्तमान समय में चीन में मंचू जाति के लोगों की संख्या लगभग 1 करोड़ है।
1911 से 1912 ईस्वी के बीच किंग राजवंश के विरुद्ध एक जबर्दस्त विद्रोह हुआ। किंग वंश विद्रोह को दबाने में तो सफल हो गया पर 1937 में उसे एक और विद्रोह का सामना करना पड़ा जिसमें उसकी हार हुई। सन यात-सेन ने किंग वंश के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था और जीतने के बाद चीन गणतंत्र राज्य घोषित हुआ।
1958 ईस्वी में माओत्से तुंग ने आज के चीन People’s Republic of China की स्थापना की।
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