अमेरिका का इतिहास भारत के इतिहास जितना पुराना नहीं है। भले ही हज़ारों साल पहले मानव ने अमेरिका पर बसना शुरू कर दिया था पर फिर भी इसके इतिहास की शुरूआत 1492 ईसवी से की जाती है जब कोलंबस ने भारत को खोजने के परियास में अमेरिका को खोज़ डाला था।
अमेरिका पर मानव कब बसे
वैज्ञानिक मानते हैं कि लगभग 15 हज़ार साल पहले जा इससे भी पहले मानव रूस के साइबेरिया से अमेरिकी महाद्वीपों पर बेरिंग ज़मीनी पुल (Bering land bridge) के जरिए पहुँचे थे।
बेरिंग ज़मीनी पुल या बेरिंजिया (Beringia) एक ज़मीनी पुल था जो एशिया के साइबेरिया क्षेत्र को उत्तर अमेरिका के अलास्का क्षेत्र से जोड़ता था। वर्तमान में यह जमीनी भाग समुंद्र में डूब चुका है।
बेरिंग ज़मीनी पुल के जरिए मानव पहले अलास्का पहुँचा और फिर अमेरिकी महाद्वीपों के अन्य हिस्सों में फैल गया। समय बीतने पर उन्होंने खेतीबाड़ी करना सीख लिया और शिकार के जरिए भी वो अपना भोजन करते थे।
अमेरिका की खोज़ – 1492
ईसवी 1492 में कोलंबस युरोप से भारत को जाने वाला समुंद्री रास्ता खोजने निकला पड़ा। उसे यह पूरा विश्वास था कि पृथ्वी गोल है और पश्चिम की तरफ समुंद्र के रास्ते जाने से जरुर भारत पहुँचा जा सकता है। पर उस समय कोलंबस समेत युरोपियन लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पृथ्वी पर युरोप, एशिया औऱ अफ्रीका के सिवाए भी कई बड़े – बड़े महाद्वीप मौजूद हैं।
समुंद्री यात्रा करते हुए कोलंबस जब अमेरिकी महाद्वीपों के पास स्थित एक द्वीप (Island) पर पहुँचा तो उसे लगा कि वो भारत के पास किसी द्वीप पर पहुँच गया है। बाद में उसने कई और द्वीपों की यात्रा भी की जिन पर उसे कुछ आदिवासी मिले जो थोड़े लाल रंग के थे। कोलंबस ने उन्हें भारतीय समझ कर रेड इंडियन (Red Indian) नाम दे दिया। रेड इंडियन बाद में अमरींडीयन (Amerindians) और अमेरिका के मूल निवासी भी कहलाए।
सेटेलमेंट्स (Settlements) – अमेरिका उपनिवेशिक काल
जब कोलंबस ने स्पेन जाकर बताया कि उसने भारत खोज लिया है तो यह बात आग की तरह पूरे युरोप में फैल गई। कई और युरोपिय देशों के लोग भी समुंद्र के रास्ते भारत (अमेरिका) पहुँचने को आतुर थे।
कहानी में मोड़ तब आया जब अमेरिगो वेस्पूची (Amerigo Vespucci) नाम के खोज़ी यात्री ने यह बताया कि कोलंबस ने जिन भू-भागों को खोज़ा था वो भारत नहीं बल्कि नए प्रदेश हैं। अमेरिगो वेस्पूची के नाम पर ही इन द्वीपों का नाम अमेरिका पड़ गया जो बाद में उत्तर और दक्षिण अमेरिका कहलाए।
अमेरिकी महाद्वीपों के बारे में जानकारी के बाद कई युरोपिय देशों में उन्हें अपना उपनिवेश बनाने की होड़ मच गई जिसमें ब्रिटेन, स्पेन और फ्रांस सबसे आगे थे।
आज के अमेरिका देश के पूर्वी हिस्से में ब्रिटिश लोगों ने अपनी अलग – अलग 13 कलोनियां बसा ली थी जो ब्रिटिश झंडे के नीचे रहकर अपना शासन चलाती थी। इन 13 कलोनियों में इंग्लैंड के सिवाए युरोप के अन्य लोग भी थे।
समय समय पर इन 13 कलोनियों के युरोपियन लोगों का अमेरिका के मूल निवासियों (Amerindians) के साथ टकराव भी हुआ जिसमें युरोपियन लोग मूल निवासियों को हरानें में सफल भी रहे। यह कलोनियां 1607 से 1733 ईसवी के बीच बसी थी।
जब 13 कलोनियों ने की आज़ादी की घोषणा
अमेरिकी के पूर्वी क्षेत्र में बसी 13 कलोनियों के लोग ब्रिटिश सरकार की नीतियों से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने 4 जुलाई 1776 को अपने आपको एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया, जिसे उन्होंने नाम दिया – संयुक्त राष्ट्र (United States).
लंबे युद्ध के बाद फ्रांस और इंग्लैंड की सरकार ने इन 13 कलोनियों (United States) को एक अलग देश की मान्यता दे दी और इसी तरह से जन्म हुआ आज के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र संयुक्त राज्य अमेरिका का। 1788 ईसवी में संयुक्त राष्ट्र ने अपने संविधान को लागू किया और जार्ज वाशिंगटन इसके पहले राष्ट्रपति बने।
ऊपर चित्र में लाल रंग में आप जो क्षेत्र देख रहे है, यह संयुक्त राष्ट्र की 13 कलोनियां है, यानि कि उस समय अमेरिका बस इतना सा ही बड़ा था।
एक देश बनने के बाद अमेरिका ने पश्चिम दिशा की तरफ अपना प्रसार बढ़ाना शुरू कर दिया। 1803 ईसवी में उसने उत्तरी अमेरिका के एक बड़े भू-भाग लुसियाना (Louisiana) को फ्रांस के ख्रीद लिया और इसी तरह संयुक्त राष्ट्र का क्षेत्रफल लगभग 3 गुना हो गया।
लुसियाना ख्रीद के सिवाए अमेरिकीयों ने महाद्वीप से सभी मूल निवासियों को खदेड़ दिया और मेक्सिको को युद्ध(1845) में हराने के बाद इसका क्षेत्रफल लगभग आज के जितना हो गया।
अमेरिकी ग्रह युद्ध (1861 – 1865)
अमेरिकी ग्रह युद्ध वर्ष 1861 से 1865 के बीच अमेरिका के उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों के बीच लड़ा जाने वाले एक भयंकर युद्ध है। यह युद्ध दास प्रथा को लेकर हुआ था जिसमें उत्तरी राज्य दास प्रथा को खत्म करने के हक में थे जबकि दक्षिणी राज्य इस तरह से नहीं करना चाहते थे।
अमेरिका के उत्तरी राज्यों ने धीरे – धीरे दास प्रथा को खत्म करने के कानून बना लिए थे जबकि दक्षिणी राज्यों के गोरे लोग अफ्रीका से लाए काले गुलामों को बराबर हक देने को तैयार नहीं थे। दक्षिणी राज्य अमेरिका से अलग होकर एक अलग देश बनाना चाहते थे।
1861 में अब्राहम लिंकन अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने जो दास प्रथा को खत्म करने के हक में थे। और साथी ही वो चाहते थे कि अमेरिका की ऐकता और अखंडता बनीं रहे।
दास प्रथा को लेकर 1861 में उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच एक भयंकर युद्ध शुरू हुआ जिसमें उत्तरी राज्यों की अगवाई अब्राहम लिंकन खुद कर रहे थे। लंब युद्ध के बाद उत्तरी राज्यों ने दक्षिणी राज्यों को हरा दिया और इस तरह से अमेरिका में दास प्रथा खत्म हो गई।
अमेरिकी ग्रह युद्ध में लगभग 7 लाख सैनिकों समेत 3 लाख गैर सैनिक नागरिक मारे गए। इस युद्ध का खामियाज़ा खुद लिंकन को भी भुगतना पड़ा। युद्ध खत्म होने के बाद लिंकन एक दिन थियेटर में एक ड्रामा देखने गए और ड्रामें के एक एक्टर ने उन्हें इसलिए गोली मार दी क्योंकि वो दास प्रथा खत्म करने के विरोध में था।
अमेरिका में औद्योगीकरण और विकास (1865-1940)
ग्रह युद्ध के बाद अमेरिका में पुननिर्माण और औद्योगीकरण का विकास शुरू हुआ। इस समय के दौरान युरोप से बड़ी गिणती में लोग आकर अमेरिका में बसे। यह वो समय था जब अमेरिका विश्व पटल पर एक महान आर्थिक शक्ति बनकर उभरने लगा।
अमेरिका के उत्तर में दक्षिण के मुकाबले ज्यादा विकास हुआ क्योंकि वहां की भौगौलिक परिस्थियां और यातायात के साधन काफी विकसित हो चुके थे। कोयले और लोहे का उत्पादन बढ़ा और वहां बहुत से कारखाने काम करने लगे।
बाद में अमेरिका में टेलीग्राफ विवस्था शुरू की कई जिसने अमेरिका के कोने – कोनो में बसे लोगों का आपसी मेलजोल बढ़ा दिया। रेल, बिज़ली और टेलीफोन ने अमेरिका को विकसित होने में काफी सहायता की और आज यह देश संसार के नक्शे पर सबसे शक्तिशाली देश है।
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