अफग़ानिस्तान का इतिहास लिखित रूप में सबसे पहले 500 ईसापूर्व से मिलता है जब यहां पर हख़ामनी वंश का राज था। हालांकि इस बात के पक्के सबूत है कि इससे पहले यह क्षेत्र मेड़ीज़ साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था और इसके कुछ क्षेत्र सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत आते थे।
लगभग 4 हज़ार साल पहले आर्य लोग यहां पर आए। ईसा से 700 साल पहले अफग़ानिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था जिसके बारे में महाभारत समेत कई और हिंदु – बौद्ध ग्रंथों में बताया गया है।
यहां लंबे समय की हिंदु-बौद्ध सभ्यता को 7वी सदी से 11वीं सदी के बीच मुसलमानों ने खत्म कर दिया। इसके बाद अफग़ानिस्तान के इतिहास में कई उतार-चढ़ाव आए और आज यह एक इस्लामिक देश है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि 1700 ईस्वी तक अफग़ानिस्तान नाम का कोई देश नहीं था, इसे यह नाम दुरानी शासकों के दौरान मिला।
प्रागैतिहासिक काल से आर्यों के आगमन तक
प्रागैतिहासिक काल
अफग़ानिस्तान से मिले कंकालों और सबूतों से पता चला है कि आज से 50 हज़ार साल पहले इंसान यहां आ चुका था जो शायद पालतू जानवर पालने के साथ थोड़ी बहुत खेती भी करता था।
सिंधु घाटी सभ्यता (2600-1900 ईसापूर्व)
हालांकि सिंधु घाटी सभ्यता ज्यादातर आज के पाकिस्तान और भारत में फैली हुई थी पर फिर भी अफग़ानिस्तान के उत्तर में स्थित नदी आमू दरिया (संस्कृत: वक्शु नदी) के पास सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं।
आर्य (2000 ईसापूर्व)
लगभग 4 हज़ार साल पहले अफग़ानिस्तान के क्षेत्र में आर्य लोग दाखिल हुए और सिंधु घाटी के लोगों से संपर्क के बाद आज के हिंदु धर्म ने नया रूप लेना शुरू किया।
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ईसा से 700 साल पहले अफग़ानिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था जिसके बारे में महाभारत समेत कई और हिंदु – बौद्ध ग्रंथों में बताया गया है।
अफग़ानिस्तान का प्राचीन इतिहास (700 ईसापूर्व से 642 ईसवी तक)
मेडियाई साम्राज्य
ईसा से कोई 600 साल पहले तक अफ़गान क्षेत्र मेडियाई साम्राज्य के अंग हुआ करते थे। हालांकि यह माना जाता है कि अफ़गान क्षेत्र इस साम्राज्य के अधीन ज्यादा समय तक नहीं रहे होंगे।
हखामनी साम्राज्य ( Achaemenid Empire )
लगभग 500 ईसापूर्व के समय पर्सिया (ईरान) के राजा डेरियस ने मिस्र से लेकर आधुनिक पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा तक के क्षेत्र को जीत लिया जिसमें अफगानिस्तान का हिस्सा भी आता था।
सिकंदर का हमला
हखामनी साम्राज्य 330 ईसापूर्व तक बना रहा जब तक कि सिकंदर ने इसे जीत ना लिया।
इसके बाद 323 ईसापूर्व में सिकंदर की मौत के बाद उसके सेनापति सेल्युक्स ने अपने आपको ईरान और अफगानिस्तान का शासक घोषित कर दिया।
मौर्य साम्राज्य
305 ईसापूर्व में यवन शासक सेल्युक्स और हिंदु राजा चंद्रगुप्त के बीच सिंधु नदी के किनारे भयंकर युद्ध हुआ जिसमें यवनों के छक्के छुड़ा दिए गए और उन्हें संधि करने पर मज़बूर होना पड़ा।
चंद्रगुप्त ने सेल्युक्स से पूरा के पूरा अफगानिस्तान मांग लिया और उसकी एक बेटी का हाथ भी। बदले में चंद्रगुप्त ने सेल्युक्स को 500 हाथी भेंट किए।
भारतीय शक
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद अफ़गानिस्तान के ज्यादातर क्षेत्र पर शकों का राज हो गया जो लगभग दूसरी सदी तक रहा। हालांकि शकों को पूरी तरह से गुप्त राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने चौथी सदी में खत्म किया।
कुषाण साम्राज्य
लगभग दूसरी सदी में कुषाणों ने अफगानिस्तान समेत पूरे उत्तर भारत और ईरान को जीत लिया। कुषाणों ने बौद्ध धर्म को काफ़ी बढ़ावा दिया जिसके कारण लगभग आधा अफगानिस्तान बौद्ध हो गया।
कुषाणों के बाद एक बर्बर जाति हुणों का इस क्षेत्र पर कब्ज़ा हो गया पर हिंदु राजा यशोधर्मन द्वारा उन्हें खदेड़ दिया गया।
कुषाणों के बाद 6 से 9वीं सदी तक अफगानिस्तान पर हिंदु और बौद्ध राजाओं का राज रहा जिसके कारण यहां हिंदु बौद्ध संस्कृति बढ़ी फुली। बामियान में बुद्ध की मूर्तिया विश्व प्रसिद्ध रहीं है जो इस समय ही बनी थी।
642 ईसवी को अरबों ने अफगाननिस्तान पर लगातार हमले करने शुरू किए और अगली चार सदियों में वो अफगानिस्तान से भारतीय संस्कृति को मिटाने में कामयाब हो गए।
मध्यकालीन अफगानिस्तान का इतिहास (642 ईसवी से मुगल साम्राज्य तक)
लगभग 8वीं 9वीं सदी तक अफगानिस्तान पर हिंदु – बौद्ध शासकों का राज था पर लगातार मुस्लिमों हमलवारों के हमलों के कारण वो कमज़ोर पड़ गए और इसके बाद अफगानिस्तान का इस्लामीकरण शुरू हो गया।
सबसे पहले महमूद गज़नवी ने अफ़गानिस्तान को अपने राज में मिलाया और इसके बाद 1148 ईसवी में मुहम्मद गौरी ने इस पर राज किया।
गौरी साम्राज्य के बाद मंगोलों ने इस क्षेत्र के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया और लंबे समय तक बने रहे। 1405 ईसवी में तैमूरलंग ने इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया।
1500 ईसवी के बाद बाबर, जो कि तैमूरलंग का ही एक वंशज था, ने लगभग पूरे अफगानिस्तान को मुगल साम्राज्य में मिला लिया और अगले 200 सालों तक ज्यादातर समय इस पर मुगलों का राज ही रहा।
आधुनिक काल से वर्तमान तक अफगानिस्तान का इतिहास (1747 ईसवी से वर्तमाम समय तक)
1700 ईसवी तक औरंगज़ेब बूढ़ा हो चुका था और 1707 ईसवी में उसकी मौत के बाद मुगल साम्राज्य कमज़ोर पड़ने लगा। मुगलों की कमज़ोरी का फायदा उठाकर दुरानी हमलावर नादिर शाह ने 1738 ईसवी में पूरे अफ़गानिस्तान को अपने कब्ज़े में ले लिया। इसके बाद उसके सेनापति अहमद शाह अब्दाली ने 1772 ईसवी तक दुरानी साम्राज्य की कमान संभाली और फिर 1826 ईसवी तक उसके वंशजों ने।
1826 ईस्वी से लेकर आज तक, अफगानिस्तान ने विदेशी आक्रमणों, गृहयुद्धों और राजनीतिक अस्थिरता से चिह्नित एक उथल-पुथल भरे इतिहास का अनुभव किया है।
1826 में, दोस्त मोहम्मद खान अफगानिस्तान के अमीर बन गए और बराकजई वंश की स्थापना की, जो 1973 तक चला। 1839 में, अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया और एक कठपुतली राजा को स्थापित किया, जिससे प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध छिड़ गया। 1842 में अंग्रेजों को वापस जाने के लिए मजबूर किया गया और देश आंतरिक संघर्ष के दौर में गिर गया।
1919 में, अफगानिस्तान ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की और राजा अमानुल्लाह खान ने आधुनिकीकरण और सुधार का एक कार्यक्रम शुरू किया। हालाँकि, उनके प्रयासों को देश के भीतर रूढ़िवादी तत्वों के विरोध का सामना करना पड़ा, और उन्हें 1929 में गद्दी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इसके बाद के दशकों में, अफगानिस्तान बाकी दुनिया से काफी हद तक अलग-थलग रहा और कमजोर और अप्रभावी सरकारों की एक श्रृंखला द्वारा शासित रहा। 1978 में, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ अफ़गानिस्तान (PDPA) के नेतृत्व में एक कम्युनिस्ट तख्तापलट ने सरकार पर नियंत्रण कर लिया, जो 1992 तक चले गृहयुद्ध की चिंगारी थी।
इस अवधि के दौरान, सोवियत सेना ने अफगानिस्तान में भी हस्तक्षेप किया, जिससे एक दशक तक चलने वाला युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों हजारों अफगान मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हुए। 1989 में सोवियत सेनाओं की वापसी के साथ युद्ध समाप्त हो गया, लेकिन देश अराजकता की स्थिति में रहा।
1992 में, साम्यवादी सरकार को उखाड़ फेंका गया और राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी के नेतृत्व में एक नई सरकार की स्थापना की गई। हालाँकि, देश विभाजित रहा, और तालिबान सहित विभिन्न गुटों के बीच गृह युद्ध जारी रहा।
1990 के दशक के मध्य में तालिबान एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा और 1998 तक अधिकांश देश पर नियंत्रण कर लिया। तालिबान सरकार को केवल कुछ देशों द्वारा मान्यता प्राप्त थी और महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के क्रूर व्यवहार के लिए जाना जाता था।
2001 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 9/11 के आतंकवादी हमलों के जवाब में अफगानिस्तान पर आक्रमण किया, जिसकी योजना अल कायदा द्वारा बनाई गई थी, एक आतंकवादी संगठन जिसने तालिबान सरकार के तहत अफगानिस्तान में सुरक्षित आश्रय पाया था। अमेरिका और उसके सहयोगियों ने तालिबान सरकार को उखाड़ फेंका और राष्ट्रपति हामिद करजई के नेतृत्व में एक नई सरकार की स्थापना की।
तब से, अफगानिस्तान ने एक स्थिर सरकार स्थापित करने के लिए संघर्ष किया है और एक पुनरुत्थानवादी तालिबान विद्रोह सहित चल रही हिंसा से त्रस्त रहा है। देश दुनिया में सबसे गरीब लोगों में से एक है और भ्रष्टाचार, गरीबी और कमजोर बुनियादी ढांचे सहित कई चुनौतियों का सामना करता है।
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