सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण प्राचीन हिंदू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। ज्योतिर्लिंग उन स्थानों को कहते है जहां पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे।
सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य में सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल शहर में समुद्री किनारे पर स्थित है। वर्तमान समय में बना सोमनाथ मंदिर देश की आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी द्वारा बनवाया गया है। इससे पहले इतिहास में यह मंदिर कई बार बनाया गया था और उसे हर बार किसी मुस्लिम शासक ने तोड़ दिया।
Somnath temple Religious Importance in Hindi
सोमनाथ मंदिर की धार्मिक महत्ता
हिंदू ग्रंथों के अनुसार सोमनाथ मंदिर की स्थापना स्वयं चंद्रमा अर्थात ‘ सोम ‘ ने की थी। सोम जा सोमराज, चंद्र देवता जा चंद्रमा का दूसरा नाम है।
कथाओं के अनुसार चंद्र देवता ने दक्षप्रजापित की 27 पुत्रियों से विवाह किया था परंतु चंद्र उन सब में से रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे। अपनी बाकी पुत्रियों के साथ हो रहे अन्याय को देखकर दक्ष प्रजापति ने चंद्र को श्राप दे दिया कि अब से हर दिन तुम्हारा तेज (चमक) कम होता जाएगा।
श्राप से घबराकर चंद्र देवता ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी। चंद्र की आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने चंद्रमा को श्राप का निवारण दिया। उन्होंने चंद्रमा से कहा कि 15 दिन तुम्हारी चमक कम होती जाएगी और उसके बाद लगातार 15 दिन तुम्हारी चमक बढ़नी शुरू हो जाया करेगी।
श्राप के निवारण के बाद चंद्र देवता सोमराज ने वहां पर सोने का मंदिर बनाया और यह मंदिर सोमनाथ मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। सोमनाथ का अर्थ है, ‘ सोम (चंद्रमा) के नाथ (भगवान) ‘।
सोमनाथ मंदिर के बारे में एक बात यह भी कही जाती है कि यहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने प्राण त्यार कर स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया था।
Somnath Temple History in Hindi
सोमनाथ मंदिर का इतिहास
सोमनाथ मंदिर पहली बार किस समय में बना इसके बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है पर फिर भी यह जानकारी जरूर प्राप्त है कि 649 ईसवी में इसे वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने दोबारा बनवाया था। इस मंदिर को 725 ईसवी में सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल – जुनैद ने तुड़वा दिया।
815 ईसवी में प्रतिहार राजा नागभट्ट ने इस मंदिर को दोबारा बनवाया। इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर – दूर तक फैली थी। यह अपनी धन – संपदा के लिए बहुत प्रसिद्ध था। सन 1024 ईस्वी में महमूद गजनवी ने अपने 5 हज़ार साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और 25 हज़ार लोगों को कत्ल करके मंदिर की सारी धन – दौलत लूट के ले गया।
महमूद के मंदिर लूटने के बाद राजा भीमदेव ने पुनः उसे दोबारा बनवाया । सन् 1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी मंदिर की प्रतिष्ठा और उसके पवित्रीकरण में भरपूर सहयोग किया। 1168 ई. में विजयेश्वर कुमारपाल और सौराष्ट्र के राजा खंगार ने भी सोमनाथ मन्दिर का सौन्दर्यीकरण करवाया था।
सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलज़ी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला किया तो उसने सोमनाथ मंदिर को दुबारा तोड़ दिया। उसने पवित्र शिवलिंग को भी खंडित कर दिया तथा सारी धन – संपदा लूट ली।
मंदिर को हिंदू राजाओं द्वारा बनवाने और मुस्लिम राजाओं द्वारा उसे तोड़ने का क्रम जारी रहा। सन 1395 ईसवी में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह ने मंदिर को जम कर लूटा इसके बाद 1413 ईसवी में उसके पुत्र अहमदशाह ने भी यही किया।
मुसलमानों के महान बादशाह औरंगजेब के काल में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया, पहली बार 1665 ईसवी में और दूसरी बार 1706 ईसवी में। 1665 ईसवी में मंदिर को तुड़वाने के बाद जब औरंगजेब के देखा कि हिंदू अब भी उस स्थान पर पूजा – अर्चना करने आते है तो उसने 1706 ईसवी में वहां दोबारा हमला करवाया और लोगों को कत्ल कर दिया गया।
भारत का बड़ा हिस्सा जब मराठों के अधिकार में आ गया तो सन 1783 में इंदौर की मराठा रानी अहिल्याबाई द्वारा मूल मन्दिर से कुछ ही दूरी पर पूजा-अर्चना के लिए सोमनाथ महादेव का एक और मंदिर बनवाया गया।
भारत को आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने जूनागढ़ को 9 नवम्बर 1947 को पाकिस्तान से आजाद कराया। उन्होंने सोमनाथ का दौरा किया और समुद्र का जल लेकर नए मंदिर का संकल्प किया। उनके संकल्प के बाद 1950 मंदिर का पुनः: निर्माण हुआ।
1951 में भारत के पहले राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना की तथा यह मंदिर 1962 में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ।
Mahmud Ghaznavi Attack on Somnath Temple in Hindi
महमूद ग़ज़नवी का सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण
सोमनाथ मंदिर पर हुए हमलों में महमूद ग़ज़नवी का हमला सबसे ज्यादा चर्चित है क्योंकि इस हमले के दौरान महमूद गजनवी ने हजारों लोगों का कत्ल किया था और मंदिर की धन – संपदा को लूटने के सिवाय उसके पवित्र शिवलिंग को भी खंडित कर दिया था।
महमूद गजनवी अफगानिस्तान के गजनी राज्य का राजा था जिसने धन की चाह में भारत पर 17 बार हमले किए, सन 1024 ईसवी में उसने लगभग 5 हज़ार साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया, उस समय लगभग 25 हजार लोग मंदिर में पूजा करने आए हुए थे।
समकालीन इतिहासकार उत्बी ने अपनी किताब यामिनी में गजनवी के सोमनाथ मन्दिर पर हुए इस भीषण आक्रमण को लिखा है। उत्बी के अनुसार आक्रमण में गजनवी को सोने के रूप में अकल्पनीय धन-संपदा प्राप्त हुई। जितना माल ऊंट-घोड़ों पर लाद सकता था लादा गया बाकी छोड़ना पड़ा। उसने मुख्य मंदिर सहित कई मंदिर तुड़वा डाले और शिवलिंग को तुड़वाकर खण्ड-खण्ड करवा दिया, इतना ही नहीं करीब 25 हजार हिन्दुओं को कत्ल करवा डाला। हजारों स्त्रियों एवं बच्चों को गुलाम बनाकर गजनी ले जाया गया, जहाँ बाद में गुलामों के बाजार में उनकी नीलामी की गई।
भयंकर लूटपाट करने के बाद गजनवी कच्छ के रण से वापिस जाने के लिए निकल पड़ा।
जब इस कत्लेआम की खबर हिन्दू शासकों को सुनाई पड़ी तो उनका गुस्सा भड़क उठा……. ऐसे में थार के राजपूत शासक भोज ने लौटते हुए गजनवी को सबक सिखाने का निश्चय किया लेकिन गजनवी को जब इस बात की खबर लगी तो वह रास्ता बदलकर कच्छ के रन से सिंध की ओर बढ़ गया।
सिंध के जाटों को भी इस रक्तपात की जानकारी मिल चुकी थी और साथ ही पता लग चुका था कि महमूद गजनवी सिंध के रास्ते गजनी वापस लौट रहा है। ऐसे में सिंध के जाट शासक भीमसेन जाट ने गजनवी की सेनाओं की घेराबंदी कर जबरदस्त हमले किये और गुलाम बनाए गये बहुत से स्त्री-बच्चे छुड़वा लिए। …… भागती और जान बचाती गजनवी की सेनाओं का दूर तक पीछा किया गया…… कईयों को पकड़ कर मौत को घाट उतार दिया।
जाटों के भीषण आक्रमण ने गजनवी की शक्ति को ऐसी क्षति पहुंचाई कि जाटों पर आक्रमण करने के लिए गजनवी और उसकी बची-खुची अधमरी सेना तीन साल तक हिम्मत नहीं जुटा पाई।
Interesting Facts About Somnath Temple in Hindi
सोमनाथ मंदिर के कुछ रोचक तथ्य
1. सोमनाथ मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग अर्थात जमीन नहीं है।
2. चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है। हर साल लगभग 1 करोड़ लोग मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।
3. सोमनाथ के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबंध किया है।
4. मंदिर के पास तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है।
5. यह मंदिर रोज़ सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है| यहाँ रोज़ तीन आरतियाँ होती है, सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे|
6. सुरक्षा कारणों के चलते गैर हिंदुओं को मंदिर दर्शन के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।
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