हिंदुकुश एक पर्वत माला है जो मध्य अफ़गानिस्तान से उत्तरी पाकिस्तान तक फैली हुई है। हिंदुकुश पर्वत माला 800 किलोमीटर तक लंबी तथा 200 से 300 किलोमीटर चौड़ी है। यह पर्वतमाला हिमालय का ही एक हिस्सा है।
आज हम आपको हिंदुकुश पर्वत माला से जुड़े सच और इसके इतिहास के बारे में 8 बातें बताएंगे।
हिंदुकुश पर्वतों के बारे में 8 रोचक जानकारियाँ
1. हिंदु कुश पर्वतों को प्राचीन भारत में ‘पारियात्र पर्वत‘ के नाम से जाना जाता था।
2. जब सिकंदर ने हिंदु कुश क्षेत्र में जीत हासिल की थी तो उसने इन पर्वतों को यूनानी भाषा में ‘कौकासोश इन्दिकोश‘ (Caucasus Indicus) पर्वत नाम दिया जिसका अर्थ है ‘भारतीय पर्वत‘ ।
3. सिकंदर के बाद हिंदुकुश पर्वतों पर उसके सेनापति सेल्युक्स का अधिकार हो गया, जिसे महाराज चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ईसा पूर्व में हरा दिया और हिंदु कुश पर्वतों के क्षेत्र को फिर से आज़ाद करवा लिया।
4. हिंदु कुश पर्वतों को ‘हिंदु केश‘ भी कहा जाता था। हिंदु केश का अर्थ है ‘हिंदुओं जा भारत की उत्तरी सीमा का अंत’। जैसे हमारे केश (बाल) ऊपर का अंतिम हिस्सा होते है।
5. इस पर्वत माला को फारसी भाषा में ‘हिन्दु कुह’ और ‘कूह – ए – हिंदू’ नाम से जाना जाता है। फारसी भाषा में कूह का अर्थ होता है – ‘पहाड़‘।
6. हिंदु कुश पर्वतों पर भगवान राम के पुत्र कुश ने तपस्या करके अमृत दीक्षा हासिल की थी।
7. हिंदु कुश पर्वतों के उत्तर-पूर्व में काराकोरम पर्वत माला स्थित है और इन दोनो पर्वत मालाओ के ठीक बीच एक छोटी पर्वतमाला भी है जिसे ‘हिंदुराज पर्वत‘ कहते है। प्राचीन काल में हिंदुराज पर्वतों में कई ऋषि – मुनियों के आश्रम हुआ करते ते, जहां भारत और दूसरे देशों के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे।
8. हिंदु कुश पर्वत माला में कई ऐसे दर्रे (रास्ते) है जिनसे आसानी से चीन, रूस, मंगोलिया, कज़ाकिस्तान, तुर्कनेनिस्तान और उज्बेकिस्तान जाया जा सकता है।
क्या हिंदु कुश पर्वतों का मतलब ‘हिंदुओं के मरने वाली जगह’ है?
हिंदु कुश पर्वतों से जुड़ा एक विवाद यह है कि उर्दु भाषा में ‘कुश‘ शब्द का अर्थ होता है – ‘मरना जा मारना‘। इसका मतलब है कि हिंदुकुश पर्वत वो जगह है ‘जहां हिंदु मारे गए‘।
असल में यह इसलिए माना जाता है क्योंकि जब तैमूर लंग 1399 ईस्वी में कई हज़ार हिंदुओ को गुलाम बनाकर भारत से समरकंद ले जा रहा था तो हिंदु कुश पर्वतों पर से गुजरते समय ज्यादा ठंड की वजह से आधे से ज्यादा हिंदु मारे गए। इस घटना के बाद इन पर्वतों का नाम हिंदु कुश (हिंदुओ को मारने वाला) पड़ गया।
कुछ विद्वान इस विचार से सहमत नही है। उनके अनुसार ‘कुश’ केवल ‘कुह’ का एक और रूप है, या फिर ‘हिन्दु कश’ या ‘हिन्दु केश’ का बिगड़ा रूप है, जिसका मतलब ‘भारत की सीमा’ निकलता है। यह भी हो सकता है कि यह ‘कौकासोश इन्दिकौश’ वाले यूनानी नाम का दो हज़ार वर्षों के बाद का बिगड़ा हुआ रूप हो।
हिंदु कुश पर्वतों का यह नाम पड़ने की वजह भले ही कुछ भी हो पर एक बात सत्य है कि अफग़ानिस्तान पर मुसलमानों के कब्जे के बाद हिन्दूओं को गुलाम बनाकर इन पर्वतों से ले जाया जाता था और उनमें से बहुत से हिन्दू यहां बर्फ में मर जाया करते थे।
मुगलकाल में अफग़ानिस्तान को हिन्दूविहीन बनाने के लिए जो कत्लेआम का दौर चला उस दौर में हमलावरों ने इस पर्वतमाला को हिन्दुओं की कत्लगाह बना दिया था। यहां अफग़ानिस्तान के अन्य हिस्सों से लाखों की तादाद में गुलामों को लाकर छोड़ दिया जाता था या उन्हें अरब की गुलाम मंडियों में बेच दिया जाता था।
माना जाता है कि अरब, बगदाद, समरकंद आदि स्थानों में काफिरों की मंडियां लगा करती थीं, जो हिन्दुओं से भरी रहती थीं और वहां स्त्री-पुरुषों को बेचा जाता था। उनसे सभी तरह के अमानवीय काम करवाए जाते थे। उनके जीवन का कोई अस्तित्व नहीं होता था। यातनाओं से केवल वही थोड़ा बच सकते थे, जो इस्लाम में परिवर्तित हो जाते थे। फिर उनको भी शेष हिन्दुओं पर मुस्लिम तरीके के अत्याचार करने का अधिकार प्राप्त हो जाता था। (इस सब का अनुमान आप वर्तमान में ISIS द्वारा यज़ीदियों और शिया मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचार से लगा सकते है।)
इस सारी तबाही और माराकाट का जिम्मेदार बौध धर्म का ‘अहिंसा का राग’ था जिसने हिंदुओं को एक तरह से नपंसक कर रख दिया था। वरना एक समय वो भी था जब विश्व विजेता कहे जाने वाले सिकंदर का सेनापति सेल्युक्स महाराज चंद्रगुप्त से बूरी तरह से हार गया था और उसने अपनी बेटी महाराज चंद्रगुप्त से बिहाकर अपनी जान छुड़ाई थी।
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