शौचालय के बारे में 20 तथ्य – Toilet in Hindi
1. ताइवान में एक ऐसा होटल है जहां टायलेट सीट जैसे बर्तनों में खाना परोसा जाता है।
2. हम अपनी जिंदगी के 4 से 6 महीने शौच करने में बिता देते हैं।
3. Computer Keyboard पर बैक्टीरीया की मात्रा एक टॉयलेट सीट से 200 गुणा ज्यादा होती है।
4. इंग्लिस स्टाइल टॉयलेट को एक बार flush करने से 6 लीटर पानी की खप्त होती है।
5. आपके मोबाइल फोन पर टॉयलेट सीट से 18 गुणा ज्यादा बैक्टीरीया होते है।
6. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक औसत टेबल डेस्क पर टॉयलेट सीट से 400 गुणा ज्यादा बैक्टीरीया होते है।
7. चीन में कुत्तों के लिए भी पबलिक टॉयलेटस की व्यवस्था है।
8. प्राचीन रोम में कोई चीज़ों के लिए अलग-अलग देवता होते थे। यहा तक कि गंदे नाले, टॉयलेट और मलमूत्र के लिए भी एक अलग-अलग देवता जा देवी थी।
9. अगर आप टॉयलेट में अपना मोबाइल फोन ले जाते है, तो आप टॉयलेट में ज्यादा समय बिताएंगे।
10. दुनिया के सबसे पुराने टॉयलेट स्कॉटलैंड में मिले थे जो कि तकरीबन 5000 साल पुराने हैं।
11. दुनिया के करीब 250 करोड़ लोग खुले में शौच जाने को मज़बूर है। यह दुनिया की कुल आबादी का 36 प्रतीशत हिस्सा है।
12. खुले में टॉयलेट जाने के मामले में भारत दुनिया का नंबर वन देश है, भारत के लगभग 64 करोड़ लोग रोज़ाना खुले में शौच जाने पर मज़बूर है जो देश की कुल आबादी का 53 प्रतीशत हिस्सा है।
13. भारत के 53 प्रतीशत के मुकाबले पाकिस्तान के 24 प्रतीशत और चीन के सिर्फ 4 प्रतीशत लोगों के पास शौचालय की सुविधा नही है।
14. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 70 फीसदी घरों के पास टायलेट की सुविधा नही है, शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 20 फीसदी है।
15. हमारे लिए यह दुख की बात है कि भारत की 30 करोड़ महिलाएं रोज़ाना खुले में शौच जाने के लिए मज़बूर हैं।
16. आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में लोगों के पास शौचालयों से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। यहां तक जिन लोगों के पास शौचालय की सुविधा नही है, उनमें से भी 35 प्रतीशत लोगों के पास मोबाइल फोन है।
17. शौचालयों की कमी के कारण पैदा होने वाली गंदगी, बिमारियों और मौतों के कारण भारत को हर साल 24,000 हज़ार करोड़ रूपए का नुकसान होता है।
18. दुनिया के 40 प्रतीशत बिमार लोग, खुले में शौच जाने की वजह से गंभीर बिमारियों का शिकार होते हैं।
19. शौचालयों की कमी के कारण होने वाली बिमारियों से दुनिया में हर साल 8 लाख बच्चों की मौत हो जाती है, यानि कि हर दिन 2200 बच्चों की मौत।
20. दुनिया में शौचालयों की कमी के प्रति जागरूक करने के लिए वर्ष 2001 में United Nations ने यह ऐलान किया था कि हर साल 19 नवंबर का दिन ‘विश्व शौचाल्य दिवस‘ के रूप में मनाया जाएगा।
Comments
Post a Comment