पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है जो केरल राज्य की राजधानी तिरूवनंतपुरम में स्थित है। पद्मनाभस्वामी मंदिर हिंदुओं की प्रमुख आराधना – स्थलियों में से एक है।
भगवान विष्णु का यह मंदिर एक तो अपनी प्राचीनता के लिए और दूसरा अपनी धन-दौलत के लिए प्रसिद्ध है। साल 2011 में जब इसके तहख़ानों को खोला गया तो उनमें से मिलने वाले सोने – चांदी को देखकर हर किसी की आँखे फटी की फटी रह गई। यह मंदिर देश विदेश में चर्चा का विषय बन गया।
तब से लेकर अब तक हर कोई इस मंदिर और ख़ासकर इसके खज़ाने के बारे में जानना चाहता है। अगर आप भी उन्हीं में से एक है तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं।
इस पोस्ट में हम आपको पद्मनाभस्वामी मंदिर और इसके खज़ाने के बारे में 12 रोचक और ज्ञानवर्धक तथ्य बताएँगे-
पद्मनाभ मंदिर के बारे में 12 रोचक तथ्य – Padmanabhaswamy Temple in Hindi
1. पद्मनाभस्वामी मंदिर पहली बार कब बनाया गया, इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नही मिलती है। हांलाकि इस स्थान का महाभारत समेत कई पुराणों में वर्णन है। मंदिर का पहला जिक्र 9वीं सदी के ग्रंथों में मिलता है।
2. मंदिर की संरचना में लगातार सुधार होते रहें है, वर्तमान पद्मनाभस्वामी मंदिर को 1733 ईसवी में उस समय के राजा मार्तण्ड वर्मा ने बनवाया था।
3. राजा मार्तण्ड वर्मा ने अपनी सारी संपत्ति मंदिर को दान कर दी थी और अपने आपको ‘ईश्वर का प्रतिनिधि‘ घोषित करके शाशन किया। आज भी मंदिर की देखभाल का जिम्मा राजा मार्तण्ड के शाही घराने की देख-रेख में एक प्राइवेट ट्रस्ट करता है।
4. मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा है जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। इस मूर्ति के दर्शन के लिए लाखों भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं।
5. यहां पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को ‘पद्मनाभ‘ कहा जाता है, जिस पर इस मंदिर का नाम पड़ा।
6. मंदिर तिरूवनंतपुरम के रेलवे स्टेशन से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर की एक ओर समुंद्री तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट की खूबसूरत पहाड़ियां।
7. पद्मनाभस्वामी मंदिर में केवल हिंदू ही प्रवेश कर सकते है, भले ही वो किसी भी जाति का हो।
8. मंदिर में प्रवेश के लिए पूरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है।
9. साल 2011 में जब मंदिर के 6 में से 5 तहख़ानों को खोला गया तो उनमें से सोने – चाँदी के रूप में करीब दो लाख करोड़ रूपए की संपत्ति प्राप्त हुई।
प्राप्त होने वाली कुछ मुख्य वस्तुएं इस तरह से हैं-
➡ साढ़े तीन फुट लंबी भगवान विष्णु की सोने की मूर्ति जिस पर कई हीरे, जवाहरात और कीमती पत्थर जड़े हुए हैं।
➡ शुद्ध सोने से बना एक सिंहासन जो शायद भगवान विष्णु की एक साढ़े पांच मीटर की मूर्ति को शयन अवस्था में रखने के लिए बनाया गया था। इस पर कई हीरे और जवाहारात जड़े हुए हैं।
➡ 18 फुट लंबा एक सोने का हार जिसका वज़न साढ़े 10 किलो है।
➡ 36 किलोग्राम वज़नी सोने का परदा।
➡ 2200 साल पूराने सोने के सिक्के जिन का कुल वज़न 800 किलो तक है।
➡ सोने–चांदी के हज़ारो बर्तन।
➡ अंग्रेज़ो के जमाने के सोने के सिक्के जिनका कुल वज़न 20 किलो है।
➡ कई ऐसे कीमती बर्तन जिनमें हीरे,जवाहारात और कीमती पत्थर भरे पड़े हैं।
➡ सोने-चांदी के हज़ारो गहने।
10. पद्मनाभस्वामी मंदिर के छठे तहख़ाने को अभी तक खोला नही गया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे खोलने पर पाबंदी लगाई हुई है। कहा जाता है कि इस तहख़ाने में बाकी तहख़ानो से भी ज्यादा दौलत है और इसकी गुफ़ा समुंद्र तट तक जाती है।
11. आप जानकर हैरान होंगे कि छठे तहख़ाने में ना तो कोई कुंडी है और ना ही कोई बोल्ट। कहा जाता है कि इस गेट को 16 वी सदी का कोई सिद्ध पुरूष, योगी जा तपस्वी ही ‘गरूड़ मंत्र‘ का शुद्ध उच्चारण करके खोल सकता है।
12. छठे तहख़ाने के गेट पर सांपों की तस्वीर है जो यह दर्शाती है कि वह तहख़ाने की रक्षा कर रहे हैं। कुछ लोग यह भी कहते है कि इस का अर्थ यह भी है कि इस तहख़ाने को खोलने से कुछ अशुभ घटित हो सकता है।
Note : ‘ पद्मनाभस्वामी मंदिर ‘ को ‘पदमनाभस्वामी मंदिर’ बोला जाता है जिसमें ‘द’ का उच्चारण आधा होता है।
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