About Pluto in Hindi – प्लुटो ग्रह के बारे में 13 जानकारियां

Pluto एक बौना ग्रह (Dwarf Planet) है। पहले Pluto को भी एक ग्रह माना जाता था परन्तु 24 अगस्त 2006 में इसे अंर्तराष्ट्रिय खगोल संगठन (IAU) ने ग्रहों के वर्ग से निकाल दिया क्योंकि यह पिंड ग्रह होने की शर्तों को पूरा नहीं करता था और इसे एक ‘बौने ग्रह’ का दर्जा दे दिया।
प्लुटो ग्रह की रूपरेखा – Planet Pluto Profile
- द्रव्यमान (Mass) – 13050 अरब किलोग्राम
- व्यास – लगभग 2372 किलोमीटर
- ज्ञात उपग्रह – 5
- सूर्य से दूरी – 587 करोड़ 40 लाख किलोमीटर या 39.26 AU (1 AU = पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी।)
- एक साल – पृथ्वी के 246.04 साल के बराबर
प्लुटो ग्रह के बारे में रोचक तथ्य – Facts of Pluto in Hindi
1. Pluto सौर मंडल के ग्रहों के सात उपग्रहों से छोटा है, जिनमें पृथ्वी का चंद्रमा भी शामिल है। प्लुटो पृथ्वी के चाँद के व्यास का 65 % और द्रव्यमान का मात्र 18% है।
2. Pluto की कक्षा बहुत ही ज्यादा अंडाकार है जिसके कारण प्लुटो लगभग बीस साल नेप्चुन के मुकाबले सूर्य के ज्यादा निकट रहता है। हाल ही में यह जनवरी 1979 से फरवरी 1999 तक नेप्चुन के मुकाबले सूर्य के ज्यादा निकट रहा।
3. Pluto का एक तिहाई भाग जल बर्फ से बना है जो पृथ्वी पर मौजूद पानी से तीन गुणा ज्यादा है। इसका बाकी का दो तिहाई भाग चट्टानों से बना हुआ है। इसके चमकदार क्षेत्र नाईट्रोजन की बर्फ के साथ कुछ मात्रा में मिथेन, इथेन और कार्बनमोनोआक्साईड की बर्फ़ से ढँके है।
4. Pluto का वायुमंडल निश्चित नही है। जब यह सूर्य के निकट होता है तो इस पर जमी हुई नाईट्रोजन, मिथेन और कार्बन मोनोआक्साईड गैसों में तब्दील हो जाती है पर सूर्य से दूर होने पर यह फिर से जम जाती है और इसका कोई वायमंडल नही रहता। वैज्ञानिक चाहते है कि इस ग्रह पर यान तब भेजा जाए जब इस का वायुमंडल न हो।
5. प्लुटो के अब तक 5 उपग्रह जा चंद्रमा खोजें जा चुके हैं। यह इस तरह से हैं-
- Charan (शेरान) – 1978 में खोजा गया
- Hydra and Nix (हायड्रा और निक्स) – दोनो को 2005 में हब्बल दूरबीन द्वारा खोजा गया।
- Kerberos or P4 (कर्बरोस या पी4) – 2011 में खोजा गया।
- Styx or P5 (स्टिक्स या पी5) – 2012 में खोजा गया।
6. प्लुटो के पास अभी तक एक ही अंतरिक्ष यान पहुँच पाया है और वह है ‘न्यु हारीजांस’ (New Horizons). यह यान 19 जनवरी 2006 को लाँच किया गया था और 14 जुलाई 2015 को कुछ ही घंटो के लिए प्लुटो के पास से गुजरा। इस यान ने इतने से समय में ही इस ग्रह की कई तस्वीरे लीं और कई गणनाएँ भी की। इन तस्वीरों में साफ़-साफ़ दिख रहा है कि प्लुटो पर कई बर्फ़ीली पर्वत श्रंखलाएँ हैं। इसके सिवाए यह भी पता चला कि प्लुटो का आकार अनुमान से बड़ा है।
7. न्यु हारीजांस द्वारा प्लुटो के पास से गुजरते समय ली गई कुछ तस्वीरे नीचे दी गई है। इन तस्वीरों को लेते समय प्लुटो और यान के बीच की दूरी 18000 किलोमीटर थी। सभी तस्वीरे नासा की वेबसाइट से ली गई हैं।




8. प्लूटो की खोज 1930 में क्लाइड टॉमबो नाम के वैज्ञानिक ने की थी। दरासल इस ग्रह की खोज युरेनस और नेप्चुन की गति के आधार पर की गई गणना में गलती के कारण हुई। इस गलती के अनुसार युरेनस और नेप्चुन की कक्षा पर अन्य कोई पिंड (X) प्रभाव डालता है। वैज्ञानिक क्लाइड टॉमबो इस गलती से अनजान थे और उन्होंने सारे आकाश का सावधानीपूर्वक निरीक्षण कर प्लुटो को खोज़ निकाला।
9. किंतु प्लुटो की खोज के तुरंत पश्चात पता चला कि यह ग्रह इतना छोटा है कि किसी दूसरे ग्रह की कक्षा पर प्रभाव नही डाल सकता।
10. वैज्ञानिको को इस गणना की गलती का पता तब तक नही चला जब तक कि वायेजर 2 से प्राप्त आंकड़ों से यह स्पष्ट नही हो गया कि युरेनस और नेप्चुन की कक्षाएँ न्युटन के नियमों का पालन करती है और उन पर कोई अन्य X ग्रह प्रभाव नही डालता। वैज्ञानिक इस X ग्रह को Pluto की खोज के बाद भी वायेजर 2 से लिए गए आंकड़ों के प्राप्त होने तक खोजते रहे। लेकिन यह X ग्रह मिलना ही नही था क्योंकि कोई X ग्रह था ही नहीं।
11. प्लूटो ग्रह का नाम ऑक्सफॉर्ड स्कूल ऑफ लंदन में पढ़ने वाली एक 11वीं कक्षा की छात्रा वेनेशिया बर्ने ने रखा था। इस बच्ची का कहना था कि रोम में अंधेरे के देवता को प्लूटो कहा जाता है और इस ग्रह पर भी लगभग हमेशा अंधेरा ही रहता है, इसलिए इसका नाम प्लूटो रखा जाए। इस बच्ची को उस समय इनाम के तौर पांच पाउंड दिए गए थे, जो आज के हिसाब से करीब 500 रुपये होते हैं।
12. प्लूटो ग्रह को इसके अंधेरे के देवता वाले concept के आधार पर हिन्दी में ‘यम ग्रह’ का नाम दिया गया।
13. प्लूटो और सूर्य के बीच बहुत अधिक दूरी होने के कारण सूर्य की रोशनी को प्लूटो ग्रह तक पहुंचने में लगभग पांच घंटे लगते हैं, जबकि सूरज की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में आठ मिनट और 20 सेकेंड लगते हैं।
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