
बृहस्पति ग्रह सूर्य से दूरी अनुसार पांचवा ग्रह है। यह आकार और द्रव्यमान(वज़न) में बाकी सभी ग्रहों से बड़ा है। यह धरती से सूर्य, चाँद और शुक्र के बाद सबसे ज्यादा चमकीला दिखता है।
बृहस्पति ग्रह की रूपरेखा – Jupiter Planet Profile in Hindi
- द्रव्यमान (Mass) – 18,98,130 खरब किलोग्राम (पृथ्वी से 317.83 गुणा ज्यादा)
- भू – मध्य रेखिए व्यास (Equatorial Diameter) – 1,42,984 किलोमीटर
- ध्रुवीय व्यास (Polar Diameter) – 1,33,709 किलोमीटर
- भू-मध्य रेखा की लंबाई (Equatorial Circumference) – 4,39,264 किलोमीटर
- ज्ञात उपग्रह – 79
- सूर्य से दूरी – 77 करोड़ 83 लाख 40 हज़ार 821 किलोमीटर या 5.2 AU (1 AU = सूर्य से पृथ्वी की दूरी)
- एक साल – पृथ्वी के 11.86 साल (4332.82 दिन) के बराबर
- सतह का औसतन तापमान – -108°C
बृहस्पति ग्रह के बारे में रोचक तथ्य – Amazing Facts About Jupiter Planet in Hindi

1. अकेले बृहस्पति का द्रव्यमान(भार) बाकी सभी ग्रहों के कुल द्रव्यमान से ढाई गुना ज्यादा है। पृथ्वी से 317.83 गुना ज्यादा है।
2. बृहस्पति का एक दिन बाकी सभी ग्रहों से छोटा होता है। यह केवल 9 घंटे 55 मिनट में अपनी धुरी के समक्ष एक चक्कर पूरा कर लेता है। इतनी तेज़ी से घूमने के कारण यह थोड़ा चपटा नज़र आता है।
3. बृहस्पति का वायुमंडल बादलों की कई परतों और पेटियों से बना है। हम जो बृहस्पति के चित्र देख पाते हैं वह बृहस्पति के ऊपर स्थित इन बादलों की परतों और पेटियों के ही होते हैं। यह बादल विभिन्न तत्वों की रसायानिक प्रतिक्रियाओं के कारण रंग-बिरंगे नज़र आते हैं।
4. बृहस्पति के बादलों के नीचे इसकी सतह है, जो कि ठोस नहीं बल्कि गैसीय है। इस का गैसीय घनत्व गहराई के साथ बढ़ता जाता है।
5. बृहस्पति ग्रह 90% Hydrogen, 10% Helium और कुछ मात्रा में मीथेन, पानी, अमोनिया और चट्टानी कणों से बना हुआ है।

6. बृहस्पति पर पिछले 350 सालों से एक बवंडर चल रहा है जो कि लाल बादलों से बना हुआ है। यह बवंडर इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वियां समा सकती हैं। चित्रों में देखने पर यह एक धब्बे की तरह नज़र आता है और इसे बृहस्पति की लाल आँख भी कहते हैं। असल में यह एक उच्च दबाव वाला क्षेत्र है जिसके बादल कुछ ज्यादा ही ऊँचे और आसपास के क्षेत्रों से ठंडे है। ऐसे ही कुछ अन्य छोटे-छोटे बवंडर बृहस्पति समेत शनि और नेपच्यून पर भी देखे गए हैं। वैज्ञानिक अब तक पता नही लगा पाए कि ये उच्च दबाव के क्षेत्र इतने लंबे समय तक कैसे बने रहते हैं।
7. बृहस्पति ग्रह पर बादल नारंगी और भूरे रंग के होते हैं क्योंकि यह अमोनिया क्रिस्टल और अमोनियम हाइड्रो सल्फाइड के बने होते हैं।
8. सूरज की पराबैंगनी किरणें पड़ने पर बृहस्पति के बादलों का रंग बदलता रहता है।
9. बृहस्पति ग्रह पर तेज़ हवाएं चलना आम सी बात है, जिसकी वजह से ग्रह का मौसम तूफान जैसा रहता है। इसके कई क्षेत्रों में 360 कि.मी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलना आम बात है।

10. सन् 1610 में गैलीलियो ने सबसे पहले बृहस्पति को दूरबीन से देखा था। उसने इस ग्रह के चार सबसे बड़े उपग्रहों – आयो, युरोपा, गैनिमीड और कैलीस्टो की खोज की थी। इन उपग्रहों को अब गैलीलियन उपग्रह कहते हैं।
11. Jupiter का गैनिमीड उपग्रह सौर मंडल में सबसे बड़ा उपग्रह है जो कि बुद्ध ग्रह से भी ज्यादा बड़ा है।
12. बृहस्पति ग्रह का युरोपा उपग्रह काफी ख़ास है क्योंकि सभी वैज्ञानिक यह मानते है कि युरोपा पर एक विशाल पानी का समुद्र है जिसकी गहराई 100 किलोमीटर से भी ज्यादा हो सकती है।
13. गैलीलियो ने कई साल लगातार दूरबीन से बृहस्पति पर नज़र रखी थी। उस समय माना जाता था कि पृथ्वी सारे ब्रह्मांड के केंद्र में है और बाकी सभी पिंड पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। परंतु गैलीलियो ने पाया कि बृहस्पति के उपग्रह लगातार गति कर रहे हैं और कुछ महीनों के लिए दिखना बंद हो जाते हैं। इससे सिद्ध होता था कि बृहस्पति के उपग्रह उसकी परिक्रमा कर रह हैं। इससे यह बात साफ हो गई कि सारे आकाशी पिंड पृथ्वी की परिक्रमा नही कर रहे हैं। जब गैलीलियो ने अपनी इस बात को लोगों के सामने रखा तो उन्हें कट्टर ईसाई वाद का विरोध झेलना पड़ा, बाद में उन्होंने सज़ा के डर से माफी मांग ली।
14. अब तक कुल आठ मिशन बृहस्पति पर भेजे गए हैं। पायोनियर 10 सन् 1973 में सबसे पहले भेजा गया था। इसके बाद (2)पायोनियर 11, (3)वायेजर 1 और (4)2, (5)गैलीलियो, (6)कासीनी, (7)युलीसीस और (8)न्यु होराईज़न भेजे गए। इनमें से 10 अक्तूबर 1989 को भेजा गया गैलीलियो यान आठ वर्षों तक बृहस्पति की कक्षा में रहा। गैलीलियो यान 8 दिसंबर 1995 को बृहस्पति की कक्षा में दाखिल हुआ और 21 सितंबर 2003 तक काम करता रहा।
15. कई प्राचीन सभ्यताएँ इस ग्रह के बारे में जानती थी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार बृहस्पति देवताओं का गुरू है। रोमनों के अनुसार बृहस्पति शनि ग्रह का बेटा और देवताओं का राजा है। इसके सिवाए रोमन इस इस ग्रह को ओलंपस के सम्राट तथा रोमन साम्राज्य के रक्षक भी मानते थे।
16. अपने शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण के कारण बृहस्पति सौर मंडल के अन्य ग्रहों को बाहरी उल्काओं के हमले से बचाए रखता हैं, क्योंकि यह उन्हें अपनी तरफ खींच लेता है। इसलिए बृहस्पति ग्रह को सौर-मंडल का वैक्यूम क्लीनर कहा जाता है।
17. बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के मुकाबले 2.4 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। इसका अर्थ यह है कि अगर पृथ्वी पर आपका भार 40 किलो है, तो बृहस्पति पर यह 94 किलो होगा।
18. बृहस्पति पृथ्वी के आसमान से नजर आने वाला चौथा सबसे चमकीला पिंड है। सूर्य, चंद्रमा और शुक्र ग्रह के बाद।
19. बृहस्पति ग्रह को एक तारा बनने के लिए 65% और बड़ा होना पड़ेगा।
20. किसी ग्रह के दोनों ध्रुवों अर्थात दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव के आसमान में हरे, लाल और नीले रंग के मिश्रण से उत्पन्न प्रकाश को ऑरोरा कहते हैं। पृथ्वी पर यह नॉर्वे या स्वीडन जैसे मुल्कों में यह रंग देखे जा सकते हैं। लेकिन बृहस्पति इस मामले में इसलिए खास हैं क्योंकि इसके ध्रुवों पर बनने वाला ऑरोरा से एक्स-रे (X-Ray) किरण निकलते हैं। अभी हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आकार में काफी बड़ा होने की वजह से ज्यूपिटर पर बनने वाले ऑरोरा काफी शक्तिशाली होते हैं फिर जब ग्रह के मैग्नेटिक फील्ड में जोरदार वाइब्रेशन होता है तो इससे एक्स-रे निकलती हैं।
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