शनि ग्रह के बारे में 17 रोचक जानकारियां | Saturn Information in Hindi

shani grah planet Saturn in Hindi
शनि ग्रह – Saturn Planet in Hindi

शनि ग्रह सूर्य से दूरी अनुसार 6वें स्थान पर है और बृहस्पति के बाद सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।

शनि ग्रह की रूपरेखा – Planet Saturn Profile in Hindi

  • सुर्य से दूरी : 142 करोड़ 66 लाख 66 हज़ार 422 किलोमीटर (9.58 AU)
  • एक साल : पृथ्वी के 29.45 साल या 10,755.70 दिन के बराबर
  • एक दिन : 10 घंटे 34 मिनट
  • द्रव्यमान (Mass) : 5,68,319 खरब अरब किलोग्राम (पृथ्वी से 95.16 गुणा ज्यादा)
  • ज्ञात उपग्रह : 82
  • भू-मध्य रेखीय व्यास : 1,20,536 किलोमीटर
  • ध्रुवीय व्यास : 1,02,728 किलोमीटर
  • भू-मध्य रेखिए घेरा : 3,62,882 किलोमीटर
  • सतह का औसतन तापमान : -139°C

शनि ग्रह के बारे में 17 रोचक जानकारियां | Saturn Information in Hindi

1. शनि ग्रह को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। यह पृथ्वी पर से सूर्य, चंद्रमा, शुक्र और बृहस्पति ग्रह के बाद पांचवा सबसे चमकीला दिखने वाला पिंड है।

2. शनि ग्रह सबसे ज्यादा चपटा(flat) ग्रह है। इसका ध्रुवीय व्यास इसके भू-मध्य रेखिए व्यास का 90% है। इसका कारण है इसका कम घनत्व और अपनी धुरी के समक्ष तेजी से घूमना।

3. शनि ग्रह मात्र 10 घंटे और 34 मिनट में अपनी धुरी के समक्ष एक चक्कर पूरा कर लेता है। इस तरह से इसका एक दिन बृहस्पति(9 घंटे 55 मिनट) के बाद बाकी सभी ग्रहों से छोटा होता है।

4. शनि ग्रह का घनत्व बाकी सभी ग्रहों से कम है। द्रव पानी के मुकाबले इसका घनत्व मात्र 0.7 है। इसका मतलब है अगर आप शनि ग्रह को पानी के एक बड़े से टब में डाल देंगे तो यह तैरने लगेगा।

5. शनि ग्रह का व्यास पृथ्वी के व्यास से 9 गुणा ज्यादा है जबकि घनत्व 8 गुना कम है।

6. शनि ग्रह की खोज प्राचीन काल में ही कई सभ्यताओं द्वारा कर ली गई थी लेकिन आधुनिक युग में शनि ग्रह को telescope के माध्यम से पहली बार देखने का श्रेय गैलीलियो गैलीली को जाता है जिन्होंने 1610 में इस ग्रह को अपनी बनाई telescope के माध्यम से देखा था।

7. शनि ग्रह के विशाल आकार ने इतनी जगह घेर रखी है कि इसमें 763 पृथ्वियां समा सकती हैं।

8. शनि ग्रह में भू-मध्य रेखा के वायुमंडल की ऊपरी सतह पर हवाएँ 1800 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती हैं, जो कि ध्वनि की रफ्तार से भी ज्यादा तेज़ है।

9. अगर आप एक कार से यात्रा करके पृथ्वी से शनि ग्रह तक की यात्रा करना चाहते हैं, तो 117 km/h की speed से जाने के बावजूद भी आपको शनि पर पहुँचने में 1292 साल लग जाएंगे।

10. शनि ग्रह की आंतरिक और पदार्थिक संरचना लगभग बृहस्पति जैसी ही है। बृहस्पति की तरह ही शनि मुख्य रूप से हाईड्रोजन और हीलीयम से बना हुआ है। इसके सिवा जल, मिथेन, अमोनिया और चट्टानों के कुछ अंश है। बृहस्पति की तरह ही शनि का केंद्रक चट्टानी है और आसपास द्रवित धात्त्तिवक हाईड्रोजन की परत है। इसकी सतह भी गैसीय है।

11. अक्तूबर 2019 में वैज्ञानिकों ने शनि ग्रह के 20 नए चाँद खोज लिए। इसके बाद शनि सौर मंडल का सबसे ज्यादा उपग्रहों वाला ग्रह बन गया है। अब शनि के 82 उपग्रह हैं और इसके बाद बृहस्पति का स्थान आता है जिसके 79 चाँद हैं।

12. शनि ग्रह को इसके बड़े-बड़े छल्लों(वलयों) के कारण बाकी ग्रहों से अनूठा माना जाता है। यह छल्ले है तो बृहस्पति, यूरेनस और नेपच्यून पर भी, पर शनि के छल्ले संख्या और आकार में ज्यादा हैं।

13. गैलीलियो ने 1610 में जब शनि को दूरबीन द्वारा देखा था, तो उन्होंने शनि के अज़ीब से आकार को देखकर मज़ाक में कहा था कि – “शायद शनि ग्रह के दो कान भी हैं”।। बाद में हुई खोजों से पता चला कि शनि का यह अज़ीब सा आकार उसके वलयों के कारण है।

14. शनि के सभी छल्ले लगभग एक तल पर ही हैं। इसके छल्लों को समझने के लिए इसे 14 मुख्य भागों में बांटा गया है जिनमें से 12 छल्ले है और 2 रिक्त स्थान। यह इस तरह से हैं-

  • D Ring
  • C Ring
  • B Ring
  • Cassini Divison (रिक्त स्थान)
  • A Ring
  • Roche Divison (रिक्त स्थान)
  • F Ring
  • Janus Ring
  • G Ring
  • Methone Ring Arc
  • Anthe Ring Arc
  • Pallene Ring
  • E Ring
  • Phocbe Ring

इन में से A,B और C वलय पृथ्वी से देखे जा सकते हैं। A और B वलय के बीच रिक्त स्थान को कासीनी डीवीजन कहते हैं।

15. शनि के वलय छोटे-छोटे कणों से बने हुए हैं। यह कण मुख्य रूप से पानी की बर्फ के बने हैं पर इनमें चट्टानों के कण भी शामिल हैं। इन कणों का आकार कुछ सेंटीमीटर से लेकर कुछ मीटर तक का है। यह कण अपने छल्ले में रहकर स्वतंत्र रूप से शनि की परिक्रमा करते हैं।

shani graha rings shani grah
शनि के वलयों की लम्बाई और मोटाई की तुलना

16. शनि के छल्लोंvका व्यास भले ही 2 लाख 82 हज़ार किलोमीटर से ज्यादा है परंतु इनकी मोटाईvएक किलोमीटर सेvभी कम है। इन छल्लों की विशालता की तुलना में पदार्थ की मात्रा बहुत कम है। यदि सभी छल्लों के पदार्थो को एक आकाशी पिंड बनाने में उपयोग किया जाए तो उस पिंड का आकार 100 किलोमीटर से कम होगा।

17. अब तक कुल 4 अभियान शनि ग्रह पर जा चुके हैं- Pioneer 11 (पायोनीर 11), वायेजर 1 और 2 और कासीनी।

Related Pages

Comments