कुतुब मीनार के बारे में 14 रोचक तथ्य – Qutub Minar Facts In Hindi
1. क़ुतुब मीनार भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में महरौली भाग में स्थित है। ईंटों से बनी दुनिया की यह सबसे ऊँची मीनार है जिसकी ऊँचाई 72.5 मीटर जा 237.86 फुट है।
2. क़ुतुब मीनार के आधार का व्यास 14.3 मीटर है जो शिखर पर जाकर मात्र 2.75 मीटर रह जाता है।
3. ऐसा कहा जाता है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने Qutab Minar का निर्माण 1193 में शुरू करवाया था। वह केवल पहली मंज़िल ही बना सका था। उसके बाद दिल्ली के सुलतान बने इल्तुतमिश ने इस की तीन मंज़िलों का निर्माण करवाया। इसके बाद 1368 में फीरोजशाह ने 5वीं और आख़िरी मंज़िल बनवाई।
4. सन 1505 में क़ुतुब मीनार भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गई थी तब सिकंदर लोधी द्वारा इसकी मरम्मत करवाई गई।
5. ऐसी कहा जाता है कि क़ुतुब मीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद की मीनार के रूप में होता था और यहाँ से अज़ान दी जाती थी। लेकिन यदि कोई क़ुतुब मीनार के बिल्कुल ऊपर खड़ा हो कर पूरी शक्ति लगाकर चिल्लाए भी तो उसकी आवाज़ बड़ी मुश्किल से कोई सुन पाएगा।
6. Qutab Minar लाल और हल्के पीले पत्थर से बनाई गई है। इस पर कुरान की आयते लिखी गई हैं।
7. ऐसा माना जाता है कि इस मीनार के निर्माण में जो पत्थर तथा अन्य सामग्री उपयोग की गई थी वह 27 हिंदू मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई थी। लेकिन मीनार पर केवल ऐसा लिखा है कि कुतुबुद्दीन ने 27 मंदिर तोड़े थे, उसने मीनार बनाई थी ऐसा नही लिखा।
8. मीनार के पास ही चौथी शताब्दी में बना लौह स्तंभ है जिसे गुप्त वंश के चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा विष्णु ध्वजा के रूप में विष्णु पद पहाड़ी पर निर्मित किया गया था।
9. कुतुब मीनार का निर्माण अफ़गानिस्तान में स्थित मीनार-ए-जाम से प्रेरित होकर किया गया था। मीनार-ए-जाम कुतुब मीनार से लगभग 10 मीटर छोटी है यानि कि लगभग 62 मीटर लंबी और इसे कुतुब मीनार से लगभग 10 साल पहले ही बनाया गया था।
(अब आपको क़ुतुब मीनार को ले कर के हिंदू पक्ष के दावों के बारे में बताते हैं-)
10. हिंदू पक्ष के अनुसार वराहमिहिर जो सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में एक और खगोल-शास्त्री थे उन्होंने इस मीनार का निर्माण करवाया था। इस का वास्तविक नाम विष्णु स्तम्भ है।
11. वराहमिहिर ने मीनार यानि स्तम्भ के चारों और नक्षत्रों के अध्ययन के लिए 27 कलापूर्ण परिधियों का निर्माण करवाया था। इन परिधियों पर हिंदू देवी देवताओं के चित्र बने हुए थे। इन्हीं 27 परिधियों को तोड़कर कुतुबमीनार पर लिख दिया गया कि कुतुबुद्दीन ने 27 मंदिरों को तोड़ा।
12. मीनार, चारों ओर के निर्माण का ही भाग लगता है, अलग से बनवाया हुआ नही लगता, इसमें मूल रूप में सात मंज़िलें थी। सातवीं मंज़िल पर ब्रम्हां जी की हाथ में वेद लिए हुए मूर्ति थी जो तोड़ दी गई , छटी मंज़िल पर विष्णु जी की मूर्ति के साथ कुछ निर्माण थे वे भी हटा दिए होंगे।
13. इसका सबसे बड़ा सबूत पास में ही खड़ा लौह स्तम्भ है जिस पर ब्राम्ही भाषा में लिखा हुआ है कि गरूड़ ध्वज सम्राट चन्द्र गुप्त विक्रमादित्य (380-414 ईस्वी) द्वारा स्थापित किया गया।
14. जिस महान सम्राट के दरबार में महान गणितज्ञ आर्य भट्ट, खगोल शास्त्र एवं भवन निर्माण विशेषज्ञ वराह मिहिर हुए। ऐसे राज के राज्य काल में जिसमें लौह स्तम्भ स्थापित हुआ तो क्या जंगल में अकेला स्तम्भ बना होगा? निश्चय ही आसपास अन्य निर्माण भी हुए होंगे।
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