
मिस्र के पिरामिडों का निर्माण तत्कालीन राजाओं के शवों को दफनाने के लिए किया गया था। उन राजाओं के शवों को पिरामिड में दफनाते समय खाने-पीने की चीजें, कपड़े, गहने, बर्तन और हथियार भी साथ में ही दफनाए जाते थे। इतना ही नहीं कई बार तो सेवक-सेविकाओं को भी साथ में ही दफना दिया जाता था। यह सब करने के पीछे प्राचीन मिस्र के लोगों का मानना था कि मरने के बाद व्यक्ति दूसरी दुनिया में चला जाता था। जहां उन को साथ में दफनाई गई चीजें काम आती हैं। आइए आपको मिस्र के बारे में कुछ और रोचक तथ्य बताते हैं।
मिस्र के पिरामिडों के बारे में रोचक तथ्य – Egypt Pyramids in Hindi
1. वैसे तो मिस्र में 138 पिरामिड हैं, पर इन में से गिज़ा का Great Pyramid ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है। बाकी के 6 अजूबे काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो चुके हैं पर ग्रेट पिरामिड का केवल ऊपर का 10 मीटर का हिस्सा ही गिरा है। इस पिरामिड के पास दो और पिरामिड भी हैं, जो इससे छोटे हैं।
2. गीज़ा का ‘Great Pyramid’ 450 फुट ऊँचा है। 4300 सालों तक यह दुनिया की सबसे ऊँची संरचना रहा, पर 19वी सदी में इसका यह रिकार्ड टूट गया।
3. गीज़ा के ‘ग्रेट पिरामिड’ को बनाने के लिए लगभग 30 लाख मजदूरों ने 23 साल तक काम किया था।
4. गीज़ा के ‘Great Pyramid’ में 23 लाख चुना पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इन टुकड़ों में से हर एक का वज़न 2 से लेकर 30 टन तक का है। इस पिरामिड का आधार 13 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। पूरे पिरामिड का वज़न लगभग 550 करोड़ किलो है।
5. गीज़ा के ‘ग्रेट पिरामिड’ को 2560 ईसा-पूर्व में मिस्र के शास्क खुफु द्वारा अपनी कब्र के लिए पर बनाया गया था। पिरामिड बनाने में काफी समय लग जाता है। इसलिए शासक अपने शासन के दौरान ही इसका निर्माण शुरू करवा देते हैं, ताकि उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें वहां दफनाया जा सके।
6. ‘Great Pyramid’ को सिर्फ 23 साल में बनाने को लेकर कई तरह के सवाल हैं। एक पिरामिड वैज्ञानिक ने गणना कर हिसाब है लगाया कि यदि यह केवल 23 वर्षों में बना है तो कई हज़ार मजदूरों को साल के 365 दिनों में हर दिन 10 घंटे काम किया होगा और एक घंटे में 30 टुकड़ों को रखा होगा। लेकिन क्या 1 घंटे में 2 से लेकर 30 टन तक के 30 टुकड़ों को रखना संभव था?
7. क्या आप जानते हैं इन पिरामिडो को बनाने की तकनीक के बारे में अब तक कुछ भी पता नहीं चला है। वैज्ञानिक कई सालों से इस बात को जाने में लगे ,है लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। वर्तमान समय में मिस्र के साथ-साथ फ्रांस, कनाडा और जापान के विशेषज्ञ भी इन पिरामिडों को बनाने की तकनीक और इसके अंदरूनी चैंबर के रहस्य जानने में जुटे हुए हैं।
8. पिरामिडों को बनाने वाले पत्थरों को आपस में इस तरह से फिट किया गया है कि उनमें से किसी दो के बीच एक ब्लेड भी नहीं घुसाई जा सकती।
9. ‘ग्रेट पिरामिड’ के भीतर का तापमान हमेशा 20°C के बराबर रहता है, चाहे बाहर का तापमान कितना भी हो।
10. लगभग सभी पिरामिड चूना पत्थर (limestone) के खंडों (blocks) से बनाए गए हैं।
11. वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि पिरामिड के अंदर विलक्षण किस्म की उर्जा तरंगे लगातार काम करती रहती हैं, जो सजीव और निर्जीव दोनो ही प्रकार की वस्तुओं पर प्रभाव डालती हैं। वैज्ञानिक इसे पिरामिड पॉवर कहते है।
12. मिस्र के सभी पिरामिड नील नदी के पश्चिमी तट पर बनाए गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राचीन मिस्त्र वासी नील नदी के पश्चिम की तरफ वाली भूमि को मृत्यु से जोड़कर देखते थे।
13. आज से 4000 साल पहले मिस्र के पिरामिड शीशे की तरह चमकते थे क्योंकि इन्हें पॉलिश किए गए सफेद चूना पत्थर से कवर किया गया था। इस वजह से यह सूर्य की रोशनी को रिफ्लेक्ट कर देते थे और इसराइल की पहाड़ियों से भी दिखाई देते थे और हो सकता है चाँद से भी।
14. बड़े पिरामिडो में सोने-चाँदी जैसी बहुमूल्य चीजें होती थी, जिसकी वजह से पिरामिड की संरचना बड़ी जटिल रखी जाती थी, ताकि के चोर-लूटेरे उन्हें चुरा कर ना ले जाएं। लेकिन मिस्त्र वासियों के इतना ऐहितियात बरतने के बावजूद भी लगभग सभी पिरामिड 1000 ईसा-पूर्व से पहले लूट लिए गए। अब तक किसी भी पिरामिड में कोई भी ममी या उसका सामान नहीं मिला।
15. आतंकी संगठन ISIS के उदय से पहले मिस्र के पिरामिडों को देखने के लिए हर साल लगभग डेढ़ करोड़ लोग आते थे। लेकिन आतंकी घटनाओं के चलते पिरामिड देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या कम होती जा रही है।
Comments
Post a Comment