अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति जॉन एडम्स का जीवन परिचय | John Adams in Hindi

जॉन एडम्स

जॉन एडम्स (John Adams) अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति थे। यह उन लीडरों में से एक थे जिन्होंने अमेरिका को आज़ादी दिलाने के लिए ब्रिटेन के खिलाफ संघर्ष किया था। अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति बनने से पहले जॉन एडम्स अमेरिका के पहले उप-राष्ट्रपति भी रहे। एडम्स पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन के 8 साल के कार्यकाल में अमेरिका के उप-राष्ट्रपति रहे।

राष्ट्रपति कार्यकाल – मार्च 1797 से मार्च 1801 तक
पार्टी – संघवादी (Federalist)
राष्ट्रपति बनते समय आयु – 61 वर्ष
जन्म – 30 अक्टूबर 1735
मृत्यु – 4 जुलाई 1826 (आयु 90 वर्ष)

ऐसे बड़े हुए जॉन एडम्स

जॉन का जन्म अमेरिका की अँग्रेज़ कॉलोनी मैसाचुसेट्स बे (Massachusetts Bay) में हुआ था। उनके पिता एक प्रभावशाली किसान और शिल्पकार थे जो मैसाचुसेट्स बे के विधान-मंडल में स्पीकर बन गए।

जॉन शुरू से ही बुद्धिमान थे इसलिए उनके पिता ने उनकी शिक्षा पर जोर दिया। जॉन एडम्स को उच्च शिक्षा के लिए मैसाचुसेट्स में स्थित प्रसिद्ध हावर्ड यूनिवर्सिटी में भेजा गया ताकि वो मंत्री बनने की शिक्षा प्राप्त कर सकें। लेकिन उनके विचार कुछ अलग ही थे। उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का फैसला किया और स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद उन्होंने मैसाचुसेट्स के शहर बोस्टन (Boston) में वकालत शुरू कर दी।

राष्ट्रपति बनने से पहले

बोस्टन में वकालत करते समय जॉन के मन में ब्रिटिश शासन के प्रति काफी विद्रोही विचार थे। उन्होंने महसूस किया कि कॉलोनियों के साथ ब्रिटिश शासन द्वारा उचित व्यवहार नहीं किया जा रहा इसलिए उन्होंने ब्रिटेन से आज़ादी मिलनी चाहिए।

इसके बाद जॉन अपने पिता की तरह मैसाचुसेट्स के विधानमंडल के सदस्य बन गए। जॉन मैसाचुसेट्स की तरफ से ‘Continental Congress’ में प्रतिनिधि भी थे। Continental Congress अमेरिका की उन 13 कॉलोनियों के प्रतिनिधियों की समिति थी जिन्होंने ब्रिटेन के खिलाफ अमेरिकी की आज़ादी के युद्ध के समय 13 कॉलोनियों का प्रशासन चलाने की ज़िम्मेदारी ली थी।

अमेरिकी की आज़ादी के संघर्ष में जॉन एडम्स ने काफी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने अमेरिकी की आज़ादी के घोषणा पत्र को तैयार करने में सहायता की।

ब्रिटेन के खिलाफ संघर्ष के दौरान जॉन यूरोप गए ताकि युद्ध के लिए धन जुटाया जा सके और ब्रिटेन के विरोधी देशों से समर्थन जुटाया जा सके। उन्होंने बेंजामिन फ्रैंकलिन और John Jay के साथ मिलकर ‘पेरिस की संधि’ पर भी काम किया जिसकी वजह से अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का सफलतापूर्वक अंत हो पाया।

जॉन एडम्स का राष्ट्रपति कार्यकाल

एडम्स पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन के कार्यकाल (1789-1797) में उप-राष्ट्रपति के रूप में रहे। उन्हें यह पद पसंद नहीं था और उन्होंने इस नौकरी को उबाऊ और महत्वहीन पाया। हांलाकि जॉर्ज वाशिंगटन के दो कार्यकाल पूरे करने के बाद जब 1796 के अंत में राष्ट्रपति चुनाव हुए तो एडम्स को जीत हासिल हुई और वो अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति बने। उन्होंने चुनाव में थॉमस जैफ़रसन को हराया था जो आगे चलकर अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति बने।

राष्ट्रपति कार्यकाल (1797-1801) के दौरान जॉन की सबसे बड़ी उपलब्धि अमेरिका को युद्ध से बाहर निकालना था। उस समय फ्रांस का सम्राट नेपोलियन ब्रिटेन के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर चुका था और दोनों देश अमेरिका से सहायता चाहते थे। अमेरिकी जनता इस पर बँट गई। कई लोगों का मानना था कि अमेरिका को फ्रांस की सहायता करनी चाहिए क्योंकि अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के समय फ्रांस ने उनकी की सहायता की थी। इसलिए सिवाए कई लोग ब्रिटेन की सहायता करनी चाहते थे क्योंकि उनके पूर्वज ब्रिटेन से आकर ही बसे थे। लेकिन राष्ट्रपति जॉन एडम्स ने शांति का चुनाव किया और दोनों देशों में किसी की सहायता ना करके अमेरिका को युद्ध से बाहर रखा।

जॉन दूसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन पाए क्योंकि उन्हें अपने दूसरे राष्ट्रपति चुनाव(1800 ईस्वी) में उसी थॉमस जैफ़रसन से हार का सामना करना पड़ा जिन्हें हराकर वो अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति बने थे।

राष्ट्रपति पद से हटते समय उनकी आयु 65 वर्ष थी और वो लगभग 90 साल की उम्र तक जीवित रहे। उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1826 को हुई थी। हैरान कर देने वाली बात यह है कि जॉन एडम्स के प्रतिद्वंद्वी थॉमस जैफ़रसन की मृत्यु भी बिलकुल इसी दिन जॉन की मौत के कुछ घंटे पहले हुई थी। इसके सिवाए इस दिन अमेरिका का 50वां स्वतंत्रता दिवस भी था।

दासप्रथा पर विचार

एडम्स के पास कभी कोई दास नहीं था और उन्होंने सिद्धांत रूप में दास श्रम का उपयोग करने से इनकार करते हुए कहा,

“मैंने अपने पूरे जीवन में, इस तरह के घृणा में दासता का अभ्यास किया है, कि मेरे पास कभी भी एक नीग्रो या किसी अन्य दास का स्वामित्व नहीं है, हालांकि मैं जीवित रहा हूं कई वर्षों तक, जब यह प्रथा शर्मनाक नहीं थी, जब मेरे आस-पास के सबसे अच्छे लोगों ने सोचा कि यह उनके चरित्र के साथ असंगत नहीं है, और जब इसने मुझे स्वतंत्र पुरुषों के श्रम और निर्वाह के लिए हजारों डॉलर खर्च किए हैं, जो मेरे पास हो सकते हैं कई बार नीग्रो की खरीद से बचाया जाता था जब वे बहुत सस्ते होते थे।”

युद्ध से पहले, उन्होंने कभी-कभी दासों को उनकी स्वतंत्रता के लिए सूट में प्रतिनिधित्व किया। एडम्स ने आम तौर पर इस मुद्दे को राष्ट्रीय राजनीति से बाहर रखने की कोशिश की, क्योंकि उस समय अपेक्षित दक्षिणी प्रतिक्रिया थी जब स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एकता की आवश्यकता थी। उन्होंने 1777 में मैसाचुसेट्स में दासों की मुक्ति के लिए एक बिल के खिलाफ बात करते हुए कहा कि यह मुद्दा वर्तमान में बहुत विभाजनकारी था, और इसलिए कानून को “एक समय के लिए सोना चाहिए।”

वह दक्षिणी लोगों के विरोध के कारण क्रांति में अश्वेत सैनिकों के इस्तेमाल के भी खिलाफ थे। मैसाचुसेट्स में 1780 के आसपास दासता को समाप्त कर दिया गया था, जब जॉन एडम्स ने मैसाचुसेट्स संविधान में लिखा था कि अधिकारों की घोषणा में निहितार्थ से मना किया गया था। अबीगैल एडम्स ने गुलामी का मुखर विरोध किया।

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