
भारतीय उपमहाद्वीप अपने आप में एक दुनिया है जिसका लंबा इतिहास रहा है। इसके लंबे इतिहास में अनेक छोटे -बड़े राज्य पैदा हुए और मिट गए।
पर इसके इतिहास में कुछ ऐसे साम्राज्य भी हुए है जिन्होंने भारत के इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी है। आज हम आपको ऐसे ही 8 साम्राज्यों के बारे में बताएंगे।
प्रस्तुत है भारतीय इतिहास के 8 सबसे बड़े साम्राज्यों की सूची –
भारत के सबसे बड़े साम्राज्य – Largest Indian Empires in Hindi
साम्राज्य का नाम ➡ क्षेत्रफल ➡ वो वर्ष जब सबसे ज्यादा विशाल रहा
- मौर्य साम्राज्य ➡ 52 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 250 ईसवी पूर्व
- मुगल सल्तनत ➡ 40 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 1690 ईसवी
- चोल राजवंश ➡ 36 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 1030 ईसवी
- गुप्त साम्राज्य ➡ 35 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 400 ईसवी
- दिल्ली सल्तनत ➡ 32 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 1312 ईसवी
- मराठा साम्राज्य ➡ 28 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 1760 ईसवी
- कुषाण साम्राज्य ➡ 20 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 200 ईसवी
- हर्ष साम्राज्य ➡ 10 लाख वर्गकिलोमीटर ➡ 647 ईसवी
मौर्य साम्राज्य (323 ई.पू से 185 ई. पू तक ➡ 138 साल)
मौर्य साम्राज्य अब तक का सबसे विशाल भारतीय साम्राज्य रहा है जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से की थी।
मौर्य साम्राज्य दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को छोड़ कर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैला था। इसकी जनसंख्या तकरीबन 5 करोड़ थी जो उस समय संसार की कुल आबादी का 33 फीसदी हिस्सा थी।
मौर्य वंश के निम्नलिखित राजा हुए –
- चन्द्रगुप्त मौर्य, 323-298 ईसा पूर्व ➡ (25 वर्ष)
- बिन्दुसार, 298-273 ईसा पूर्व ➡ (25 वर्ष)
- अशोक, 273-232 ईसा पूर्व ➡ (41 वर्ष)
- दशरथ मौर्य, 232-224 ईसा पूर्व ➡ (8 वर्ष)
- सम्प्रति, 224-215 ईसा पूर्व ➡ (9 वर्ष)
- शालिसुक, 215-202 ईसा पूर्व ➡ (13 वर्ष)
- देववर्मन्, 202-195 ईसा पूर्व ➡ (7 वर्ष)
- शतधन्वन्, मौर्य 195-187 ईसा ➡ पूर्व (8 वर्ष)
- बृहद्रथ मौर्य, 187-185 ईसा पूर्व ➡ (2 वर्ष)
अशोक की मृत्यु के पश्चात मौर्य साम्राज्य के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और साम्राज्य सिकुड़ता चला गया। 185 ईसा पूर्व में अंतिम सम्राट बृहद्रथ की हत्या उसी के सेनापति पुश्यामित्र ने कर दी और मौर्य साम्राज्य का पत्न हो गया।
मुगल सल्तनत (1526 ईसवी से 1540 ईसवी, 1555 ईसवी से 1857 ईसवी ➡ 316 साल)
मुगल सल्तनत भारत का दूसरा सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसकी स्थापना बाबर द्वारा 1526 ईसवी में पानीपत के पहले युद्ध में दिल्ली के सुल्तान ईब्राहिम लोधी को हरा देने के बाद हुई।
अक्बर के समय इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और औरंगजेब की मृत्यु के साथ समाप्त हो गया।
औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य लगातार सिकुड़ता चला गया और जब 1857 में इसके अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफ़र को अंग्रेज़ों ने गिरफ्तार करके रंगून भेज दिया तो मुगल साम्राज्य का अंत हो गया।
मुगल साम्राज्य के मुख्य बादशाह –
- बाबर,1526 ईसवी से 1530 ईसवी तक ➡ (4 वर्ष)
- हुमायूँ,1530 – 1540 ईसवी और 1555 – 1556 ईसवी तक ➡ (11 वर्ष)
- अकबर,1556 ईसवी से 1605 ईसवी तक ➡ (49 वर्ष)
- जहांगीर,1605 ईसवी से 1627 ईसवी तक ➡ (22 वर्ष)
- शाहजहां,1627 ईसवी से 1658 ईसवी तक ➡ (31 वर्ष)
- औरंगज़ेब,1658 ईसवी से 1707 ईसवी तक ➡ (49 वर्ष)
चोल राजवंश (848 ईसवी से 1279 ईसवी तक)
चोल वंश का संस्थापक विजयालय (840-870-71 ई.) पल्लवों की अधीनता में उरैयुर प्रदेश का शासक था जो बाद में स्वतंत्र हो गया। विजयालय की वंशपरंपरा में लगभस 20 राजा हुए, जिन्होंने कुल मिलाकर चार सौ से अधिक वर्षों तक शासन किया।
चौल वंश इस लिस्ट में शामिल ना होता अगर इस वंश के 8वें और 9वें शासक अपनी कुशल युद्ध नीतियों से चौल साम्राज्य का विस्तार ना करते। 8वें राजा राजराजा चोल ने सर्वप्रथम पश्चिमी गंगों को पराजित कर उनका प्रदेश छीन लिया। उन्होंने केरल नरेश को पराजित किया। यही नहीं, राजराज ने सिंहल पर आक्रमण करके उसके उत्तरी प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया।
चौल वंश के 9वें राजा राजेन्द्र चौल सबसे महान गिने जाते है क्योंकि उन्होंने चौल साम्राज्य का विस्तार ना सिर्फ भारत में किया अपितु इसे श्रीलंका समेत मलेशिया, बर्मा, थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, सिंगापुर और मालदीप तक फैलाया।
चौल वंश के निम्नलिखित राजा हुए-
- विजयालय चोल 848-871
- आदित्य १ 871-907
- परन्तक चोल १ 907-950
- गंधरादित्य 950-957
- अरिंजय चोल 956-957
- सुन्दर चोल 957-970
- उत्तम चोल 970-985
- राजराजा चोल १ 985-1014
- राजेन्द्र चोल १ 1012-1044
- राजाधिराज चोल १ 1018-1054
- राजेन्द्र चोल २ 1051-1063
- वीरराजेन्द्र चोल 1063-1070
- अधिराजेन्द्र चोल 1067-1070
- चालुक्य चोल
- कुलोतुंग चोल १ 1070-1120
- कुलोतुंग चोल २ 1133-1150
- राजाराज चोल २ 1146-1163
- राजाधिराज चोल २ 1163-1178
- कुलोतुंग चोल ३ 1178-1218
- राजाराज चोल ३ 1216-1256
- राजेन्द्र चोल ३ 1246-1279
गुप्त साम्राज्य (240 ईसवी से 495 ईसवी तक ➡ 255 साल)
गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग माना जाता है जिसमें भारत ने प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति की। सभी हिंदू धर्म ग्रथों को पुनःशोध कर लिखवाया गया, कला और शिक्षा के क्षेत्र में चौतरफ़ा विकास हुआ।
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत की नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को जाता है।
गुप्त वंश की स्थापना श्रीगुप्त ने 240 ईस्वी में की थी और इसके चौथे शाशक समुद्रगुप्त ने अपनी कुशल युद्ध नीति से इसके क्षेत्रों में बढ़ोतरी की। एक बार समुंद्रगुप्त ने दक्षिण भारत के 12 राजाओं को एक साथ हराया था।
गुप्त वंश के 6वें सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने विदेशी हुणों को धूल चटाई। हूण एक बर्बर जाति थी जो भारतीय इलाकों में लूटमार कर भाग जाती थी।
गुप्त वंश के राजा –
- श्रीगुप्त, 240 ईसवी से 280 ईसवी तक ➡ (40 वर्ष)
- घटोट्कच गुप्त, 280-319 ➡ (39 वर्ष)
- चन्द्रगुप्त पहला, 319-335 ➡ (16 वर्ष)
- समुद्रगुप्त, 335-380 ➡ (45 वर्ष)
- रामगुप्त, 380 ➡ (1 वर्ष)
- चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, 380-413 ➡ (33 वर्ष)
- कुमारगु्प्त, पहला 413-455 ➡ (42 वर्ष)
- स्कन्दगुप्त, 455-467 ➡ (12 वर्ष)
- नरसिंहगुप्त बालादित्य, 467-473 ➡ (6 वर्ष)
- कुमारगुप्त दूसरा, 473-476 ➡ (3 वर्ष)
- बुद्धगुप्त, 476-495 ➡ (19 वर्ष)
दिल्ली सल्तनत (1210 ईसवी से 1526 ईसवी तक ➡ 316 साल)
दिल्ली सल्तनत या सल्तनत-ए-दिल्ली 1210 से 1520 तक भारत पर राज करने वाले पांच वंशों के सुल्तानों के शासनकाल को कहा जाता है।
यह पांच वंश हैं –
- गुलाम वंश, 1206 ईसवी से 1290 ईसवी तक ➡ (84 वर्ष)
- ख़िलज़ी वंश, 1290 ईसवी से 1320 ईसवी तक ➡ (30 वर्ष)
- तुगलक वंश, 1320 ईसवी से 1424 ईसवी तक ➡ (104 वर्ष)
- शैयद वंश, 1424 ईसवी से 1452 ईसवी तक ➡ (28 वर्ष)
- लोधी वंश, 1452 ईसवी से 1526 ईसवी तक ➡ (78 वर्ष)
दिल्ली सल्तनत ने हिंदू धर्म को ख़ासी चोट पहुँचाई, बहुत से बड़े मंदिरों को अवित्र कर तोड़ दिया गया और लाखों हिंदुओं को जर्बरन मुसलमान बनने पर मज़बूर किया।
1526 में पानीपत के पहले युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोधी को हराकर दिल्ली सल्तनत का अंत कर दिया।
मराठा साम्राज्य (1674 ईसवी से 1818 ईसवी तक ➡ 144 साल)
मराठा साम्राज्य की नींव शिवाजी ने 1674 ईसवी में डाली थी जिसका उद्देश्य भारत में एक ऐसा साम्राज्य स्थापित करना ता जिसमें हिंदुओं की सरदारी हो।
शिवाजी ने कई वर्ष तक औरंगज़ेब के अत्याचारी शासन से संघर्ष किया। 1720 से 1740 के बीच पेशवा बाजीराव के नेतृत्व में मराठा साम्राज्य भारत के एक बड़े हिस्से में फैल गया।
मराठा साम्राज्य 1818 ईस्वी तक चला और अंग्रज़ों द्वारा इसका अंत कर दिया गया।
शिवाजी के उत्तराधिकारी
- छत्रपति सम्भाजी
- छत्रपति राजाराम
- महारनी ताराबाई
- छत्रपति शाहू (1682-1749) उर्फ शिवाजी द्वितीय, छत्रपति संभाजी का बेटा
- छत्रपति रामराज (छत्रपति राजाराम और महारानी ताराबाई का पौत्र)
मराठा महासंघ के पेशवा
- बालाजी विश्वनाथ (1713 – 1720)
- बाजीराव प्रथम (1720–1740)
- बालाजी बाजीराव (1740–1761)
- पेशवा माधवराव (1761–1772)
- नारायणराव पेशवा (1772–1773)
- रघुनाथराव पेशवा (1773–1774)
- सवाई माधवराव पेशवा (1774–1795)
- बाजीराव द्वितीय (1796–1818)
- अमृतराव पेशवा
- नाना साहिब
कुषाण साम्राज्य
कुषाण वंश का सबसे प्रमुख्य राजा कनिष्क था जिसका राज्य कश्मीर से उत्तरी सिंध तथा पेशावर से सारनाथ के आगे तक फैला था।
कनिष्क भारतीय इतिहास में अपनी विजय, धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्य तथा कला प्रेमी होने के कारण विशेष स्थान रखता है।
कुषाण वंश के शासको के नाम इस प्रकार हैं –
- कुजुल कडफ़ाइसिस: शासन काल (30 ई. से 80 ई तक लगभग)
- विम तक्षम: शासन काल (80 ई. से 95 ई तक लगभग)
- विम कडफ़ाइसिस: शासन काल (95 ई. से 127 ई तक लगभग)
- कनिष्क प्रथम: शासन काल(127 ई. से 140-50 ई. लगभग)
- वासिष्क प्रथम: शासन काल (140-50 ई. से 160 ई तक लगभग)
- हुविष्क: शासन काल (160 ई. से 190 ई तक लगभग)
- वासुदेव प्रथम
- कनिष्क द्वितीय
- वशिष्क
- कनिष्क तृतीय
- वासुदेव द्वितीय
इस सूची से अलग भी कुषाण राजा हुए हैं जिनका अधिक महत्त्व नहीं है और इतिहास भी स्पष्ट ज्ञात नहीं।
हर्ष साम्राज्य (606 ईसवी से 647 ईसवी तक ➡ 41 साल)
हर्षवर्धन प्राचीन भारत का अंतिम बड़ा सम्राट था। वह अंतिम हिंदू सम्राट था जिसने पंजाब छोड़कर समस्त उत्तर भारत पर राज किया। उसने दक्षिण भारत की ओर भी कूच किया पर पुलकैशिन दूसरे द्वारा हरा दिया गया।
647 ईसवी में उसकी मौत के साथ ही हर्ष साम्राज्य का अंत हो गया और उत्तरी भारत छोटे – छोटे राज्यों में बंट गया।
Comments
Post a Comment