तालिबान द्वारा उड़ाई गई बुद्ध की मूर्तियों के 7 दर्दनाक तथ्य | Bamiyan Buddha in Hindi

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बुद्ध की बड़ी मूर्ति और छोटी मूर्ति

बामियान के बुद्ध – Bamiyan Buddha in Hindi

बामियान अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबूल से 130 किलोमीटर दूर एक ऐतिहासिक स्थान है।

बामियान इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहां भगवान बुद्ध की दो विशाल प्रतिमाएं हुआ करती थी। इन में से बड़ी प्रतिमां की ऊँचाई लगभग 58 मीटर और छोटी की ऊँचाई 37 मीटर थी।

दुखःद बात यह है कि इस्लामिक आतंकवादियों की दूषित मानसिकता के कारण हमें इन प्रतिमाओं के बारे में भूतकाल का प्रयोग करते हुए बात करनी पड़ती है।

मार्च 2001 में इस्लामिक आतंकवादी संगठन तालिबान द्वारा इन प्रतिमाओं को बारूद से उड़ा दिया गया।

आज हम आपको बामियान में बुद्ध की मूर्तियों के इतिहास से लेकर आज तक की 7 बातों के बारे में बताएँगे-

1. कब बनी थी बामियान में बुद्ध की मूर्तियाँ

दोनो मूर्तियों के बीच की दूरी
दोनो मूर्तियों के बीच की दूरी

ऐसा माना जाता है कि यह मूर्तियाँ कुषाणों द्वारा 5वीं और 6वीं सदी के मध्य में बनवाई गई थी। इन्हें बामियान घाटी में एक पहाड़ी को काटकर बनाया गया था।

बुद्ध की इन मूर्तियों के बनने की समय अवधि के बारे में कोई निश्चित जानकारी नही है।

एक मत के अनुसार बुद्ध की छोटी मूर्ति 507 ईसवी में और दूसरी 554 ईसवी में निर्मित की गई। तो वहीं यह जानकारी मिलती है कि छोटी मूर्ति 544 से 595 ईसवी के बीच और बड़ी 591 से 644 ईसवी के बीच बनाई गई।

बलुआ पत्थर की यह दोनो मूर्तियां बुद्ध की खड़ी मुद्रा में बनी सबसे विशाल प्रतिमाएं थी। बड़ी प्रतिमा में बुद्ध वैरोकना मुद्रा और छोटी प्रतिमा में बुद्ध साक्यमुनी मुद्रा में खड़े दिखते थे।

2. पहले कहा नहीं गिराएंगे, फिर कहा इस्लाम के ख़िलाफ है

1999 में अफ़गानिस्तान में तालिबान की सरकार थी और उसका प्रमुख मुल्ला मुहम्मद ओमार था।

पहले तो मुल्ला मुहम्मद ओमार ने कहा था कि तालिबान इन मूर्तियों की रक्षा करेंगे क्योंकि इन्हें देखने आने वाले पर्यटकों से अफ़गानिस्तान को आय होती है। पर बाद में अफ़गानिस्तान में मुस्लिम धर्मगुरूओं ने इन मूर्तियों को इस्लाम के ख़िलाफ करार दे दिया।

इसके बाद मुल्ला मुहम्मद ओमार के नेतृत्व वाली तालिबान सरकार ने इन मूर्तियों को नष्ट करने का आदेश जारी कर दिया।

उस समय भारत सरकार ने तालिबान को यह प्रस्ताव दिया कि भारत सरकार अपने खर्च पर इन प्रतिमाओं को भारत ला सकती है जहां पूरी मानवता के लिए इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा। पर तालिबान ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया।

मुल्ला मुहम्मद ओमार ने एक इंटरव्यु में कहा – “मुसलमानों को इन प्रतिमाओं के नष्ट होने पर गर्व करना चाहिए, इन्हें नष्ट करके हमनें अल्लाह की इबादत की है।

3. ऐसे गिराया गया था बामियान के बुद्ध कों

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नष्ट होने के बाद दोनो मूर्तियों के स्थान

2 मार्च 2001 को तालिबान ने इन मूर्तियों को नष्ट करना शूरू किया। पहले तो रॉकेट लांचर से इन मूर्तियों पर लगातार प्रहार किए गए, पर मूर्तियां इतनी मज़बूत थी कि नष्ट नही हुई।

इसके बाद मूर्तियों में बने सुराखों में बारूद लगाया गया। मूर्तियों में बारूद लगाने में तीन दिन लग गए। इसके बाद पास की मस्जिद से ‘अल्लाह हू अक्बर’ का नारा लगाया गया और बारूद में विस्फोट कर दिया।

विस्फोट से बुद्ध की छोटी मूर्ति तो काफी हद तक नष्ट हो गई पर बड़े बुद्ध की सिर्फ टांगे ही उड़ाई जा सकी।

इसके बाद हर रोज़ मूर्ति के बाकी बचे हिस्सों में बारूद लगाकर विस्फोट किए जाते ताकि उन्हें पूरी तरह से नष्ट किया जा सके।

बुद्ध की दोनो मूर्तियों को नष्ट करने में 25 दिन लग गए। दोनो मूर्तियों को नष्ट करने के पश्चात तालिबानी जश्न मनाने लगे और 9 गायों की कूर्बानी दी गई।

(नीचे वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे विस्फोट के बाद मूर्ति नष्ट हो गई थी।)

4. पहले भी हो चुका है मूर्तियों पर हमला

तालिबान से पहले भी इतिहास में कई कट्टर मुसलमान राजाओं ने बामियान में बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट करने की कोशिश की है।

1221 ईसवी में चंगेज़ ख़ान ने इन मूर्तियों को नष्ट करने की कोशिश की पर असफल रहा, औरंगज़ेब ने भारी तोपखाने से इन मूर्तियों पर हमले करावाए पर पूरी तरह नष्ट नही कर सका।

इसके बाद 18वीं सदी में नादिर शाह और अहमद शाह अबदाली ने भी इन मूर्तियों को काफी नुकसान पहुँचाया।

यह सभी तथाकथित बादशाह मूर्तियों के निचले हिस्सों को ही नुकसान पहुँचा सके, पूरी तरह नष्ट कोई भी नही कर सका।

5. इस्लाम में ‘बुत’ शब्द ‘बुद्ध’ का अपभ्रंश है

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अपनी बहु चर्चित पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ में लिखते हैं कि इस्लाम में बुतपरस्ती ( मूर्तिपूजा) का विरोध है और ‘बुत’ शब्द ‘बुद्ध’ से ही बना है।

इस्लाम के जन्म से बहुत पहले बौद्ध धर्म अरब में पहुँच चुका था और जगह – जगह बुद्ध की मूर्ति पूजा हो रही थी। यहीं नही हिंदू देवी – देवता भी पूजे जाते थे।

परंतू इस्लाम में यह सब हराम है। इसलिए जब मुसलमानों ने भारत पर हमला किया तो बौद्ध मठ, बौद्ध शिक्षा केंद्र और हिंदू मंदिर ही पहले – पहल उनके निशाने पर आए।

6. टूटे टुकड़े जोड़कर फिर बन रही है मूर्ति

जर्मनी के म्यूनिख यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एरविन एमर्लिंग इस मूर्ति को फिर से बना रहे हैं। वे दोनों मूर्तियों के 500 टुकड़ों की पहचान कर चुके हैं। वे बिना नया पत्थर लगाए इन टुकड़ों से ही इसे बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यूनेस्को उनकी मदद कर रही है।

7. सिर्फ एक दिन के लिए 3D में फिर से बनी थी बड़ी मूर्ति

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जिस जगह दोनो मूर्तियां नष्ट हुई थी उसी जगह एक बार फिर से 3D तकनीक की मदद से महात्मा बुद्ध की ऐसी ही विशालकाय मूर्तियां बना दी गईं थी । इसका पूरा श्रेय जाता है चीनी दंपती झेयांग शिन्यु और लियांग हॉग को। यह दंपती तालिबान द्वारा सदियों पुरानी मूर्तियों को तोड़े जाने से दुखी था और तब उन्होंने इस प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लिया।

प्रोजेक्टर्स की मदद से विशालकाय होलोग्राफिक स्टेचू तैयार किए गए। इस काम को 7 जून 2015 को अंजाम दिया गया था। यह करने अनुमित सिर्फ इसी दिन दी गई थी। बाद में इसे कभी नही किया गया। इस प्रोजेक्ट पर 74 लाख का खर्चा आया था।

निष्कर्ष

इस तरह आपने देखा कि किस तरह तालिबानी आतंकियों ने कला के इन महान नमूनों को पैरो तले रौंद दिया।

किसी चीज़ को तहस – नहस करने वाले लोग सृजन की शक्ति को नही समझ सकते। पर हम हार नही मानेंगे। अगर यह एक तोड़ेगे तो हम हज़ार का सृजन करेगें।

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